केंद्र सरकार ने यौन अपराधियों का राष्ट्रीय रजिस्टर जारी किया

Sep 20, 2018, 15:15 IST

यौन अपराधियों का राष्ट्रीय रजिस्टर में ऐसे अपराधियों के नाम, तस्वीरें, घर का पता, उंगलियों के निशान, डीएनए के नमूने और पैन व आधार नंबर शामिल किए जाएंगे.

India’s first National Registry of Sexual Offenders to be rolled out
India’s first National Registry of Sexual Offenders to be rolled out

देश में यौन अपराधों के दोषियों की निजी जानकारी डेटा के रूप में रखने के लिए नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्सुअल ऑफेंडर्स (एनआरएसओ) अर्थात् यौन अपराधियों के राष्ट्रीय रजिस्टर की 20 सितंबर 2018 से शुरुआत की गई.

इसके साथ ही भारत दुनिया का नौवां देश बन गया है जहां एनआरएसओ के तहत यौन अपराधियों से जुड़ी निजी व बायोमैट्रिक जानकारियां डेटाबेस में रखी गई हैं. भारतीय रजिस्ट्री में ऐसे अपराधियों के नाम, तस्वीरें, घर का पता, उंगलियों के निशान, डीएनए के नमूने और पैन व आधार नंबर शामिल किए जाएंगे.

 

तीन श्रेणियां

  • भारत में इस रजिस्ट्री के तहत अपराधियों को तीन श्रेणियों में रखा जाएगा. 15 साल की श्रेणी में ‘कम खतरनाक’ वाले अपराधियों का रिकॉर्ड रखा जाएगा.
  • ‘मध्यम (या थोड़ा) खतरनाक’ अपराधियों को 25 साल वाली श्रेणी में रखा जाएगा.
  • वहीं, आजीवन श्रेणी में ‘आदतन अपराधियों, हिंसक अपराधियों, सामूहिक बलात्कार के दोषियों और यौन अपराध के दोषी सरकारी अधिकारी’ को रखा जाएगा.


प्रमुख तथ्य

•    डेटाबेस में साढ़े चार लाख से ज्यादा मामलों को रजिस्टर किया जाएगा.

•    इनमें पहली बार और बार-बार यौन अपराध करने वालों के नाम शामिल होंगे.

•    वे समाज के लिए कितने खतरनाक हैं, इस आधार पर उन्हें उनके आपराधिक रिकॉर्ड के हिसाब से अलग-अलग श्रेणी में रखा जाएगा.

•    केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) इस डेटाबेस की देखरेख करेगा.

•    इसे जांच एजेंसियों के अलग-अलग उद्देश्यों व कामों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

 

अन्य देशों में यौन अपराधियों का राष्ट्रीय रजिस्टर

भारत में यह रजिस्ट्री केवल जांच एजेंसियों के उपलब्ध रहेगी. अमेरिका में इस तरह का डेटाबेस एफबीआई के साथ आम लोगों के लिए उपलब्ध रहता है. इन दोनों के अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और त्रिनिदाद व टोबागो में भी यौन अपराधियों की रजिस्ट्री रखी जाती है. इन देशों में भी केवल जांच एजेंसियां इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.


पृष्ठभूमि

नाबालिगों के साथ होने वाले यौन अपराधों को देखते हुए अप्रैल 2018 में फैसला किया गया था कि ऐसे अपराधियों के नेशनल रजिस्ट्री होनी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के कठुआ सामूहिक बलात्कार व हत्या मामले के बाद इसकी मांग बढ़ गई थी. इस घटना के बाद केंद्र सरकार  ने ‘आपराधिक कानून अध्यादेश, 2018’ को मंजूरी प्रदान की थी जिसके तहत 12 साल से नीचे के नाबालिग के साथ यौन शोषण करने वाले को मौत की सजा दिए जाने का प्रावधान है.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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