प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने मई 2016 में सूखा प्रभावित दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की.
सूखा प्रभावित राज्य निम्न हैं- तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़
बैठक में लिए गए फैसले से संबंधित मुख्य तथ्य:
• पेयजल की कमी और अभाव, संरक्षण प्रयासों तथा विद्यमान जल संसाधनों का इष्टतम और सावधानीपूर्वक उपयोग जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए साप्ताहिक आधार पर कार्य योजना तैयार करना.
• जल संरक्षण, सिंचाई तालाबों की गाद निकाले जाने, वर्षा जल संचयन, भूमिगत जल रिचार्ज, पनधारा विकास इत्यादि के लिए एकीकृत कार्य योजना विकसित की जानी है.
• रोक बांधों, रिसन तालाबों का रख रखाव, नहरों की लाईनिंग, वितरण नेटवर्क में जल रिसाव तथा चोरी को रोकने को प्राथमिकता दी जाएगी.
• जल उपयोग को प्राथमिकता, व्यर्थ जल के पुन: चक्रण तथा इसका उपयोग अर्ध शहरी क्षेत्रों में कृषि के प्रयोजन के लिए इसके उपयोग को बढ़ावा देना.
• गन्ने को चरणबद्ध तरीके से सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर करना. किसानों को इसके स्थान पर दूसरी फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित किया जाना है.
• देश के विभिन्न भागों में निष्क्रिय परंपरागत/ऐतिहासिक स्टेप वैल्स की बहाली पर विशेष जोर देना.
• सभी जल निकायों को एक विशेष पहचान देकर उन पर संख्या डाला जाना.
• भूमिगत पाइप लाइनों का निर्माण करके कमान क्षेत्र में बीच-बीच में टूटी हुई नहरों को जोड़ना. इससे भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को पूरा करने के अलावा वाष्पीकरण से होने वाली हानियों में कमी आएगी.
• जल की कमी से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासनिक निकायों को मानसून के आने से पहले जल संरक्षण के लिए तैयारी से संबंधित कदम उठाए जाएंगे.
• किसानों को ‘मोबाइल ऐप' पर उनकी भाषा में जिला-वार योजना बनाना, मौसम से संबंधित सूचना, फसल संबंधी परामर्श उपलब्ध कराना.
• भूमिगत जल संसाधन का पता लगाने के लिए विकेंद्रीकृत कंटूर एंड रिज मैपिंग के लिए व्यापक रूप से रिमोट सेंसिंग, सैटलाइट प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा.
• क्षेत्रों के मानचित्रण के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड का विश्लेषण और उपयोग तथा फसलों के लिए वैज्ञानिक सलाह जो ऐसे क्षेत्रों के लिए सर्वाधिक अनुकूल हो.
• तटीय क्षेत्रों में समुद्री शैवाल पालन, मोती और झींगापालन को प्रोत्साहित करना.
• मिल्क रूट के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाना.
• शहरी क्षेत्रों में बिल्डिंग के ऊपर वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाया जाना.
• राज्य मूल्यवर्धन तथा वैकल्पिक आजीविका-डेयरी, कुक्कुट पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, पुष्प कृषि, इमारती लकड़ी के वृक्ष उगाना आदि को बढ़ावा देने पर विचार करना.
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