उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 अक्टूबर 2018 को इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है. उत्तर प्रदेश के इस प्रमुख शहर को अब नए नाम प्रयागराज से ही जाना जाएगा.
माना जाता है कि मुगल बादशाह अकबर ने प्रयाग का नाम बदल कर इलाहाबाद (अल्लाह आबाद) किया था. साथ ही, हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि संत लगातार इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग करने की मांग उठा रहे थे. इलाहाबाद में भी देवभूमि से निकलने वाली दो पवित्र नदियां मिलती हैं इसलिए इसे प्रयागराज कहा जाता है.
प्रयागराज का ऐतिहासिक दृष्टिकोण
• अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी.
• माना जाता है कि अकबर ने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा. उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था.
• इसके अतिरिक्त रामचरित मानस में इसे प्रयागराज ही कहा गया है.
• इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है कि संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का अभिषेक होता था.
• सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के महात्म्य का वर्णन है. इसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती हैं.
किसी स्थान का नाम कैसे बदला जाता है? |
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फैसले की पृष्ठभूमि
पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए वर्षों से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठती आ रही थी. मगर इस पर कभी भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था. मार्च 2017 में योगी सरकार के उत्तर प्रदेश की सत्ता सँभालने पर उन्होंने यह वादा भी किया कि वे इलाहाबाद को प्रयागराज कर देंगे. इसके बाद कई संतों ने इलाहाबाद को प्रयागराज करने की मांग उठाई.
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