उत्तर प्रदेश सरकार ने 03 अप्रैल 2018 को प्राईवेट स्कूल में मनमानी फीस वसूली के खिलाफ एक आदेश जारी किया. जिसमें संचालकों को कई नियमों का पालन करना होगा. उल्लंघन करने पर स्कूल के मान्यता रद्द करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
कैबिनेट की बैठक में निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर नियमावली का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे पारित कर दिया गया है. इस नियमावली के दायरे में प्रदेश के 20 हजार रुपये से अधिक फीस लेने वाले स्कूल आएंगे.
नियमों का उल्लंधन करने के पर कार्रवाई:
स्कूल नियमों का उल्लंघन करते हैं तो ऐसा पहली बार करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. दूसरी बार ऐसा करने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. और तीसरी बार भी नियमों को उल्लंघन किया गया तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी.
नए नियम:
• नई नियमावली के अनुसार निजी स्कूलों को हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस वृद्धि अब नहीं हो सकती.
• 12वीं तक सिर्फ 1 बार एडमिशन फीस ली जाएगी.
• अगर स्कूल फीस बढ़ाना चाहते हैं तो तो अध्यापकों के वेतन वृद्धि के आधार पर ही ऐसा संभव हो सकेगा, यह भी 7-8% से अधिक नहीं होगी.
• अधिकांश स्कूल अपने यहां कॉमर्शियल एक्टिविटी करते हैं. उसकी आय को उन्हें स्कूल की आय में दिखाना होगा. इससे स्कूल की आय बढ़ जाएगी.
• अगर कोई अभिभावक या प्रबंधक इससे असहमत होता है तो एक अपीलिंग कमेटी बनेगी वहां सुनवाई की जा सकेगी.
• स्कूल रेजिस्ट्रेशन फीस, एडमिशन फीस, परीक्षा शुल्क समेत 4 शुल्क अनिवार्य होंगे. जबकि बस, मेस, हॉस्टल जैसी सुविधाएं वैकल्पिक होंगी.
• स्कूल शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले अलग-अलग मदों के खर्च को डिस्प्ले करेगा. शुल्क प्रभार की रसीद देनी होगी.
• अब स्कूल 5 वर्षों तक ड्रेस में परिवर्तन नहीं कर सकते. अगर ऐसा होगा तो मंडलायुक्त स्तर पर एक कमेटी होगी जो इसकी जांच करेगी.
• स्कूल के सभी खर्चों को अब वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा.
• नई व्यवस्था के तहत निजी स्कूल साल भर की फीस एक साथ नहीं ले सकेंगे. वे मासिक, त्रैमासिक या अर्धवार्षिक आधार पर फीस ले सकेंगे.
• प्रस्तावित अध्यादेश में प्रावधान है कि निजी स्कूल अभिभावकों को किसी दुकान विशेष से किताब-कापियां, यूनीफॉर्म, जूते-मोजे और स्टेशनरी खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे.
पृष्ठभूमि:
यूपी सरकार के इस फैसले के तहत हर साल फीस बढाने को लेकर जो स्कूलों की मनमानी की जा रही थी उस पर नियंत्रण होगा. प्रस्तावित निर्णय से छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को सीधा लाभ प्राप्त होगा. शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों-अभिभावकों पर प्राइवेट स्कूलों द्वारा डाले जा रहे वित्तीय अधिभार से मुक्ति मिलेगी. साथ ही प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे.
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