अमेरिकी संसद ने 12 जून 2018 को भारत द्वारा छह लड़ाकू अपाचे हेलिकॉप्टर ख़रीदे जाने की प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान की. भारत सरकार द्वारा इस खरीद के लिए पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है.
यह हेलीकॉप्टर एक मिनट में 128 लक्ष्यों को ट्रैक कर निशाना साधने में सक्षम है. पूर्व रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में यह मंजूरी प्रदान की गई थी. सेना को पहली बार ये लड़ाकू हेलीकॉप्टर मिलेंगे.
अपाचे हेलिकॉप्टर की विशेषताएं
• अपाचे को वर्ष 1981 तक एएच-64 नाम से जाना जाता था. इसे 1981 के अंत में अपाचे नाम दिया गया.
• अमेरिकी सेना उस समय तक अपने हेलीकॉप्टिरों का नाम अमेरिकी भारतीय जनजातीय नामों पर रखती थी. अप्रैल 1986 में अपाचे को अमेरिकी सेना में शामिल किया गया.
• अपाचे में लगे सेंसर की सहायता से यह अपने दुश्मंनों को ढूंढ कर उन्हें समाप्त कर सकता है.
• अपाचे में लगे नाइट विजन सिस्टीम से इसे रात में काम करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती.
• इसमें लगाई गई 30 मिलिमीटर की एक एम230 चेन गन को मेन लैंडिंग गियर के बीच इंस्टॉमल किया गया है जिससे यह हेलिकॉप्टर की मारक क्षमता को दोगुना करती है.
• अपाचे हेलीकॉप्टर में एजीएम-114 हेलीफायर मिसाइल लगे हैं और हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स भी लगे हैं.
• यह हेलीकॉप्टर 293 किमी प्रतिघंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है. अपाचे की लंबाई 18 मीटर है तथा इसमें टर्बोसाफ्ट इंजन लगे हैं. इसका वजन 5,165 किलो है.
पृष्ठभूमि |
भारत में मिग-35 की जगह पर हमलावर अपाचे हेलीकॉप्टर को लाया जा रहा है. लेकिन, अपाचे हेलीकॉप्टर के नियंत्रण को लेकर भारतीय वायुसेना के साथ लंबा गतिरोध बना रहा था. सितंबर 2015 में सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति ने भारतीय वायुसेना के लिए बोइंग के 22 अपाचे हेलीकॉप्टर खरीद को मंजूरी दे दी. उस वक्त केन्द्र सरकार ने यह कहा था कि थल सेना के लिए इस हेलीकॉप्टर की खरीद की जाएगी. लेकिन, उसकी डील में लगातार देरी होती चली गई. अब जाकर यह डील दोनों देशों द्वारा अंतिम रूप ले सकी है. |
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