अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद छोड़ने की घोषणा की

Jun 20, 2018, 08:55 IST

अमेरिका का आरोप है कि 47 सदस्यों वाली यह मानवाधिकार परिषद इज़राइल विरोधी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की.

US Withdraws From UN Human Rights Council
US Withdraws From UN Human Rights Council

अमेरिका ने 19 जून 2018 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर होने की घोषणा की. अमेरिका लंबे समय से मानवाधिकार परिषद में सुधार किये जाने की मांग करता रहा है तथा मांग न मानने पर बाहर होने की चेतावनी देता रहा है.

अमेरिका का आरोप है कि 47 सदस्यों वाली यह परिषद इज़राइल विरोधी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की. निकी हैली ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर होने की घोषणा करता है.

घटनाक्रम

•    अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्कार किया था.

•    इसके बाद ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था.

•    डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद सँभालते ही इस परिषद में सुधारों के लिए बात उठाई थी.

•    अमेरिका तीन वर्ष के लिए इस परिषद का सदस्य बना था और अभी उसका डेढ़ वर्ष ही पूरा हुआ है.

•    परिषद में सुधारों पर सहमति नहीं बनी और अमेरिका की मांगों को नहीं माना गया था.

•    उसी के चलते अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से हट जाने की घोषणा की गई.

•    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते और ईरान परमाणु डील के बाद यह तीसरा अवसर है जब वह बहुपक्षीय समझौतों से अलग हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) का उद्देश्य विश्व में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर नज़र रखना है. वर्ष 2006 में इसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था. अमेरिका के अलावा अन्य 46 देश इसके सदस्य हैं. इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद् ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया.

इसका कार्य सार्वभौमिकरण, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता एवं सृजनात्मक अंतर्राष्ट्रीय संवाद के सिद्धांतों के अंतर्गत निर्देशित होता है. इसे समय-समय पर सभी एजेंसियों एवं निकायों को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है ताकि मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को व्यवस्थापरक ढंग से रोका जा सके.

वर्तमान में भारत इसका सदस्य नहीं है, लेकिन 2006-07, 2007-10, 2011-14 और 2013-17 में चार बार इसका सदस्य रह चुका है. वर्ष 2013 में चीन, रूस, सऊदी अरब, अल्जीरिया और वियतनाम को इसमें शामिल किए जाने पर मानवाधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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