केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पारिजात का पौधा (Parijat Plant) लगा कर 'वन महोत्सव 2021 (Van Mahotsav 2021)' की शुरुआत की. उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत ‘पेरिस समझौते’ के तहत अपने वन संपदा बढ़ाने के लक्ष्य को 2030 तक पूरा करेगा.
केंद्रीय मंत्री सूचना व प्रसारण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में 15000 वर्ग किलोमीटर वन संपदा बढ़ी है. वन महोत्सव एक सप्ताह (1 से 7 जुलाई) तक चलने वाला त्योहार है. त्योहार का उद्देश्य लोगों को पेड़ लगाने और देश में अधिक वन बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
140 करोड़ जनता सहयोग की अपील की
प्रकाश जावडेकर के अनुसार, भारत 2030 तक पेरिस समझौते के मुताबिक ढाई बिलियन टन कार्बन को पेड़ पौधों और जमीन को तैयार करके स्वच्छ करने की अपने लक्ष्य को पूरा कर लेगा. इसके साथ ही उन्होंने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश की 140 करोड़ जनता सहयोग की अपील की.
वृक्ष लगाने का सबसे अनुकूल समय
प्रकाश जावडेकर का कहना है कि वृक्ष लगाने का यह सबसे अनुकूल समय है. उन्होंने यह भी कहा कि केवल वृक्ष लगाना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसकी देखभाल करना भी महत्वपूर्ण है. 3 साल तक पेड़ों की देखभाल करना, उन्हें ठीक से पानी देना, उनकी मिट्टी को ठीक करना और खाद आदि देना जरूरी है.
वन महोत्सव: एक नजर में
हर साल, जुलाई के पहले सप्ताह में भारत में वन महोत्सव का सप्ताह भर चलने वाला उत्सव मनाया जाता है, जिसे हजारों पौधे लगाकर मनाया जाता है. वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य देश में वृक्षारोपण और वन संरक्षण पर जागरूकता बढ़ाना है. वन महोत्सव एक ऐसा त्योहार है जो भारत के नागरिकों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है.
वन महोत्सव का महत्व
पूरे विश्व में ट्रॉपिकल जंगलों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है. महामारी के दौरान भी जब विश्व के ज्यादातर हिस्से लॉकडाउन में चले गए, वनों की कटाई जारी रही. ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के निष्कर्षों के मुताबिक, भारत ने 2019 और 2020 के बीच लगभग 38.5 हजार हेक्टेयर ट्रॉपिकल जंगल को खो दिया है.
वन महोत्सव का इतिहास
वनों को विनाश से बचाने एवं वृक्षारोपण योजना को वन महोत्सव का नाम देकर अधिक-से-अधिक लोगों को इससे जोड़कर भू-आवरण को वनों से आच्छादित करना एक अच्छा प्रयास है. पौधों, पेड़ों और जंगलों के महत्व को देखते हुए, भारत की आजादी के कुछ साल बाद वन महोत्सव शुरू हुआ. पहली बार साल 1950 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री रफी अहमद किदवई के जरिए मनाया गया. वन महोत्सव जंगली जानवरों और जंगल में रहने वाले जीवों पर वनों की कटाई के प्रभाव पर जोर देता है. 1950 से, वन महोत्सव हर साल जुलाई के पहले सप्ताह के दौरान, 1 जुलाई से 7 जुलाई के बीच मनाया जाता है.
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