Waqf law: वक्फ कानून पर तत्काल रोक लगाने की मांग पर देश में गहमागहमी का माहौल है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह? दरअसल इस्लामी कानून में, वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए ईश्वर (अल्लाह) के नाम पर हमेशा के लिए समर्पित की जाती है। लंबे समय से यह मुद्दा विवादों से घिरा है, जो अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी वक्फ कानून पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस पर चर्चा करने से पहले आइए समझते हैं क्या है 'वक्फ कानून'।
क्या है वक्फ?
वक्फ की अवधारणा इस्लामी कानूनों और परंपराओं पर आधारित है। यह मुसलमानों द्वारा किसी धार्मिक उद्देश्यों के लिए किए गए दान जैसे कि "मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थान बनाने" को दर्शाता है। हालांकि वक्फ की एक और परिभाषा है कि इसे बेचा, उपहार और विरासत में नहीं दिया जा सकता है। इसलिए, एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ में दे दी जाती है, तो यह निर्माता से अलग होकर अल्लाह में निहित हो जाती है। इस्लामी मान्यता के अनुसार चूंकि अल्लाह हमेशा के लिए रहता है, इसलिए ‘वक्फ संपत्ति’ भी हमेशा के लिए रहती है।
भारत में कब आया वक्फ
ऐसा माना जाता है कि इस्लाम में वक्फ आने के बाद से ही भारत में वक्फ कानून की शुरुआत हो गई थी। हालांकि यह अभी तक निश्चित नहीं किया है भारत में औपचारिक रूप वक्फ कब लागू किया गया था। आसान भाषा में कहे तो वक्फ कानून का मतलब अपनी इच्छा से संपत्ति को मिल्कियत से निकालकर ऊपर वाले को दे देना है। इसका असल मक्सद अल्लाह के बंदों को फायदा या मदद पहुंचाना है।
वक्फ पर क्या है विवाद?
इस व्यवस्था को लंबे समय से स्वीकार किया जा रहा है। लेकिन अभी भी इसे लेकर कई आलोचनाएं हैं। जिनमें सबसे अहम यह है कि दस्तावेजों की कमी के कारण कई वक्फ संपत्तियां अक्सर कानूनी विवादों में उलझ जाती हैं। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां एक तरफ कुछ संपत्तियों को वक्फ घोषित कर दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ सरकार का दावा होता है कि यह हमारी संपत्ति है। अब नए कानून के लागू होने के बाद सिर्फ इस आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जाएगा जब वहां लंबे समय से धार्मिक और दान संबंधी काम हो रहे होंगे। अब से कोई भी नया वक्फ बनाने के लिए उस संपत्ति से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेज होने अनिवार्य। हालांकि जिन संपत्तियों को "वक्फ बाय यूजर" के तहत वक्फ घोषित किया गया है, उन पर नए कानून का कोई भी असर नहीं होगा। लेकिन, विवादित संपत्तियों के ऊपर यह लागू नहीं किया जाएगा।
वक्फ संशोधन बिल
पुराना बिल | नया बिल |
रीजन टू बिलीव सेक्शन 40 के तहत अगर वक्फ बोर्ड के द्वारा किसी संपत्ति पर दावा किया जाता है, तो वक्फ का मालिक केवल वक्फ ट्रिब्यूनल में ही अपील कर सकता है। | नए बिल के अनुसार वक्फ का मालिक वक्फ ट्रिब्यूनल के अलावे सिविल या अन्य कोर्ट में अपील कर सकता है। |
वक्फ बोर्ड में महिलाओं और गैर मुस्लिम लोगों को नियुक्त नहीं किया जाता था। | वक्फ बोर्ड में अब महिलाएं और गैर मुस्लिम समुदाय के 2 लोग भी हिस्सा लेगें। |
वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला ही आखिरी होता है और दोनों पक्षों को इसे स्वीकार करना होगा। | वक्फ ट्रिब्यबनल के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी सकती है। |
अगर किसी जमीन को इस्लामी कामों के लिए इस्तेमाल किया गया है जैसे की मस्जिद या मदरसे के लिए, तो वह वक्फ के अंतर्गत आ जाती हैं। | जब तक संपत्ति को वक्फ में दान न किया जाए, तब तक उस जमीन का मालिकाना हक उस व्यक्ति का ही रहता है। |
क्या है सुप्रीम कोर्ट का कहना
वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नए कानून के कई प्रावधानों, खासकर 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' संपत्तियों के प्रावधानों पर कड़े सवाल पूछे। कोर्ट ने इस मामले के संदर्भ में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर भी सवाल उठाए और सरकार से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुद्दों पर उठाए सवाल
न्यायालय ने सभी पक्षों के बीच “समानता को संतुलित करने” के उद्देश्य से तीन मद्दों पर सवाल उठाते हुए अंतरिम आदेश का भी प्रस्ताव रखा।
पहला प्रस्ताव: 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों का दर्जा:
वक्फ की पुरानी संपत्तियों को डिनोटिफाई करना परेशानी बन सकता है, क्योंकि कई संपत्तियां सदियों पुरानी हैं और उनके रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स को ढुंढना इतना आसान नहीं हैष
दूसला प्रस्ताव: वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति
वक्फ बोर्ड गैर-मुस्लिम सदस्यों को नियुक्त करना धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ जा सकता है। वहीं, कोर्ट का कहना है कि क्या हिंदू ट्रस्ट मुस्लिम सदस्यों को शामिल करेगी।
तीसरा प्रस्ताव: कलेक्टर को मिली शक्तियां
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कलेक्टर के जांच के दौरान संपत्ति से वक्फ वक्फ दर्जा खत्म नहीं होना चाहिए। अंतिम फैसला न आते तक किसी तरह का प्रभाव लागू नहीं किया जाएगा।
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