UN एजेंसी का बड़ा बयान, 50 वर्षों में मौसम की आपदाएं बढीं पांच गुना, इनकी आवृत्ति और नुकसान में भी हुआ इजाफा

Sep 8, 2021, 14:22 IST

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक रिपोर्ट में यह उल्लिखित किया गया है कि, पिछले 50 वर्षों की समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं में पांच गुना वृद्धि हुई है और ये परिवर्तन इस गर्म ग्रह द्वारा बड़े पैमाने पर लगातार जारी हैं. इस रिपोर्ट ने आगे यह चेतावनी भी दी गई है कि, ऐसे प्राकृतिक संकट अभी जारी रहेंगे.

Weather disasters increased five-fold in 50 years, becoming more frequent and costly, says UN agency
Weather disasters increased five-fold in 50 years, becoming more frequent and costly, says UN agency

संयुक्त राष्ट्र ने यह चेतावनी दी है कि, पिछली आधी सदी में मौसम संबंधी आपदाओं में वृद्धि हुई है और इससे कहीं अधिक नुकसान हुआ है, जबकि लगातार बेहतर होती चेतावनी प्रणालियों के कारण मौतों में कमी आई है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक रिपोर्ट ने वर्ष, 1970 और वर्ष, 2019 के बीच मौसम, जलवायु और पानी की चरम सीमा (सुनामी, तूफ़ान और बाढ़) से होने वाले आर्थिक नुकसान और मृत्यु दर की जांच की है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की इस रिपोर्ट में यह उल्लिखित किया गया है कि, पिछले 50 वर्षों की समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं में पांच गुना वृद्धि हुई है और ये परिवर्तन बड़े पैमाने पर हमारे निरंतर गर्म होने वाले ग्रह द्वारा संचालित किए गए हैं.

वर्ष, 1970 के बाद से बढ़ी मौसम संबंधी आपदाएं: संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन के मुख्य बिंदु

• WMO के महासचिव, पेटेरी तालस ने यह कहा है कि, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के कई हिस्सों में मौसम, जलवायु और जल चरम की संख्या लगातार बढ़ रही है और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में ये घटनाएं लगातार और गंभीर होती जा रही है. 
• औसतन, पिछले 50 वर्षों में, जलवायु, मौसम और पानी की चरम सीमाओं से जुड़ी एक आपदा हर दिन हुई है, जिसमें 115 लोग मारे गए हैं और 202 मिलियन डॉलर का दैनिक नुकसान नुकसान हुआ है. 
• मानव जीवन के सबसे बड़े नुकसान के लिए सूखा जिम्मेदार रहा है. इसमें लगभग 6,50,000 लोगों की मौत हुई है, जबकि तूफानों में 5,77,000 लोग मारे गए हैं.
• इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में बाढ़ ने लगभग 59,000 लोगों की जान ले ली है और अत्यधिक तापमान में 56,000 के करीब लोग मारे गए हैं.

मौसम संबंधी आपदाओं के कारण होने वाली मौतों में आई है लगभग तीन गुना गिरावट

इस रिपोर्ट में, एक सकारात्मक नोट के मुताबिक, यह पाया गया है कि, इस पिछली आधी सदी में जलवायु और मौसम संबंधी आपदाओं में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन मौतों की संख्या में तीन गुना गिरावट आई है.

यह संख्या वर्ष, 1970 के दशक में हर साल 50,000 से अधिक मौतों से गिरकर वर्ष, 2010 में 20,000 से कम हो गई है.

WMO के अनुसार, जबकि वर्ष, 1970 और वर्ष, 1980 में प्रतिदिन औसतन 170 संबंधित मौतें हुई हैं, वर्ष, 1990 के दशक में ऐसी मौतों का दैनिक औसत गिरकर 90 और फिर वर्ष, 2010 में 40 हो गया.

आपदा जोखिम में इस कमी के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के प्रमुख मामी मिजुटोरी ने भी इन बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के जीवन-बचाव प्रभाव की सराहना की है.

प्राकृतिक आपदाओं की यह विकट समस्या अभी है जारी, लाने होंगे जरुरी बदलाव

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने हालांकि इस बात पर जोर देकर यह कहा है कि, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के 193 सदस्य देशों में से केवल आधे ही ऐसे देश हैं जो वर्तमान में जीवन रक्षक बहु-खतरा पूर्व-चेतावनी प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने अफ्रीका, प्रशांत और कैरेबियाई द्वीप राज्यों और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में मौसम और हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्विंग नेटवर्क में गंभीर अंतराल के बारे में भी चेतावनी दी है.

मौसम संबंधी आपदाओं की बढ़ रही है लागत भी

वर्ष, 2010 से वर्ष, 2019 तक रिपोर्ट किया गया घाटा प्रति दिन 383 मिलियन डॉलर था जोकि वर्ष, 1970 के दशक में लगभग 49 मिलियन डॉलर से 07 गुना अधिक है.

पिछले 50 वर्षों के दौरान घटित हुई सबसे नुकसानदायक 10 आपदाओं में से 07 घटनायें वर्ष, 2005 के बाद से हुई हैं जिनमें से तीन प्राकृतिक आपदाएं केवल वर्ष, 2017 में घटी थीं: तूफान हार्वे- जिसने लगभग 97 अरब डॉलर का नुकसान किया था, इसके बाद मारिया तूफ़ान आया जिसने 70 अरब डॉलर और इरमा तूफ़ान ने लगभग 60 बिलियन डॉलर का नुकसान किया था.

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