राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को राज्यसभा में नियम 267 के तहत सांसदों से लगभग 10-15 नोटिस मिल रहे हैं. राज्यसभा के अध्यक्ष विपक्षी सांसदों के इन सभी लिखित नोटिसों को खारिज करते रहे हैं.
राज्यसभा के सभापति ने वर्ष, 2016 से नियम 267 के तहत कई सौ नोटिसों को खारिज कर दिया है, जिसमें राफेल सौदे से लेकर GST के कार्यान्वयन तक और हाल ही में पेगासस, किसानों के विरोध और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के विषय शामिल हैं.
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत कामकाज स्थगित करने और ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया था.
CPI(M) के सांसदों डॉ. वी. शिवदासन और एलाराम करीम ने भी राज्यसभा में किसानों के विरोध पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत, व्यावसायिक नोटिस को निलंबित कर दिया था.
राज्यसभा में नियम 267 क्या है?
राज्य सभा के नियम 267 के अधीन कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव रख सकता है कि, किसी विशेष प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के मकसद से, उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध कार्य से संबंधित किसी नियम को, उसके आवेदन के दौरान निलंबित किया जा सकता है, और अगर, संबद्ध प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो प्रश्नगत/ संबद्ध नियम कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.
इसका सरल मतलब यह है कि, नियम 267 के तहत जारी एक नोटिस में, एक या अधिक सदस्यों द्वारा उठाए गए विषय पर चर्चा करने के लिए, ऊपरी सदन के सूचीबद्ध कार्य को अलग रखने का प्रयास किया गया है.
अपवाद
यह नियम तब लागू नहीं होगा जहां, नियमों के किसी विशेष अध्याय के तहत, किसी नियम के निलंबन के लिए विशिष्ट प्रावधान पहले से मौजूद हैं.
नियम 267 के तहत कौन नोटिस जारी कर सकता है?
राज्यसभा का कोई भी सदस्य नियम 267 के तहत किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अध्यक्ष को नोटिस जारी कर सकता है.
राज्यसभा में नियम 267 का प्रयोग विरले ही क्यों किया जाता है?
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सुखेंदु शेखर रे ने यह सूचित किया कि नवंबर, 2016 से नियम 267 के तहत राज्यसभा के सभापति द्वारा कोई नोटिस स्वीकार नहीं किया गया है.
नियम 267 आखिरी बार कब लागू किया गया था?
राज्यसभा ने लगभग पांच वर्षों से नियम 267 के तहत चर्चा की अनुमति नहीं दी है. राज्यसभा में आखिरी बार नियम 267 के तहत 16 नवंबर, 2016 को चर्चा हुई थी, जब राज्यसभा ने विमुद्रीकरण के मुद्दे को उठाने की अनुमति दी थी.
नियम 267 इससे पहले एक बार 23 अप्रैल, 2015 को भी लागू किया गया था जब, राज्य सभा ने कृषि संकट पर चर्चा की थी.
क्या लोकसभा में भी ऐसा ही प्रावधान है?
लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव होता है, जिसके माध्यम से सदस्य गैर-सूचीबद्ध मामलों पर चर्चा की मांग कर सकते हैं, जिन्हें वे महत्वपूर्ण समझते हैं. पिछले स्थगन प्रस्ताव को छह साल पहले अगस्त, 2015 में अनुमति दी गई थी.
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