विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में पहली बार वैश्विक स्वच्छता तथा स्वास्थ्य पर दिशा-निर्देश जारी किये हैं. यह दिशा-निर्देश स्वच्छता की प्रभावशीलता को स्पष्ट करते हैं तथा इसमें स्वच्छता के हमारे स्वास्थ्य प्रभाव के सन्दर्भ में प्रकाश डाला गया है.
विश्व स्वस्थ्य संगठन के स्वच्छता तथा स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सभी का स्वास्थ्य तथा कल्याण सुनिश्चित करना है, यह मानव स्वास्थ्य तथा विकास का आधार है. इन दिशा-निर्देशों में स्वास्थ्य सुरक्षा, नीति, सरकारी प्रयास, स्वच्छता तकनीकों का क्रियान्वयन, व्यवहारिक बदलाव, रिस्क-बेस्ड मैनेजमेंट तथा मोनिटरिंग अप्रोच इत्यादि शामिल हैं.
डब्ल्यूएचओ की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य सिफारिशें
• स्वच्छता संबंधी मध्यवर्ती इकाइयों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी समुदायों की ऐसे शौचालयों तक पहुँच सुनिश्चित हो जहाँ मल-मूत्र आदि का सुरक्षित निपटान हो.
• व्यक्तियों और समुदायों को मल-मूत्र के संपर्क से बचाने के लिये पूर्ण स्वच्छता प्रणाली के अंतर्गत स्थानीय स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन किया जाना चाहिये. चाहे वह जोखिम असुरक्षित शौचालयों के कारण हो, मानव अपशिष्टों के अपर्याप्त उपचार या भंडारण के लीक होने के कारण हो.
• स्वच्छता को नियमित रूप से स्थानीय सरकार की अगुआई वाली योजना और सेवा प्रावधान के अंतर्गत एकीकृत किया जाना चाहिये ताकि स्वच्छता को पुनः संयोजित करने और स्थायित्व सुनिश्चित करने से जुड़ी उच्च लागत पर रोक लगाईं जा सके.
• स्वास्थ्य क्षेत्र को सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिये स्वच्छता योजना में अधिक निवेश करना चाहिये और साथ ही समन्वयक की भूमिका निभानी चाहिये.
दिशा निर्देशों के लाभ |
विश्व भर में प्रत्येक वर्ष अस्वच्छ पानी, स्वच्छता और साफ़ सफाई में कमी के कारण डायरिया जैसी बीमारियाँ होने से हर साल लगभग 829,000 मौतें होती हैं. डब्ल्यूएचओ के नए दिशा निर्देशों को अपनाकर देश मौत के इन आँकड़ों में कमी ला सकते हैं. डब्ल्यूएचओ का मानना है कि स्वच्छता में निवेश किये गए प्रति 1 अमेरिकी डॉलर के बदले, कम स्वास्थ्य लागत, उत्पादकता में वृद्धि और समय से पहले मृत्यु के आँकड़ों में कमी से लगभग छः गुना लाभ की प्राप्ति होती है. |
पृष्ठभूमि
विश्व स्वास्थ्य संगठन समय-समय पर स्वच्छता संबंधी आंकड़े जारी करता रहता है. डब्ल्यूएचओ के इन आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में लगभग 2.3 अरब लोग ऐसे हैं जिन्हें जरुरी स्वच्छता सेवाएं भी उपलब्ध नहीं है. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि विश्व की लगभग आधी आबादी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है. विश्व भर में लगभग 4.5 लोगों के पास सुरक्षित तरीके से प्रबंधित स्वच्छता सेवा उपलब्ध नहीं है अर्थात उनके शौचालय सीवर अथवा सेप्टिक टैंक उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए ऐसे में दिशा-निर्देश जारी करना अवस्यक हो जाता है.
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