तलाक के बाद भी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट

May 14, 2018, 13:01 IST

सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी दी. बैंच ने कहा कि वह राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है.

Woman is entitled to protection under domestic violence act even after divorce: SC
Woman is entitled to protection under domestic violence act even after divorce: SC

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि वैवाहिक संबंध टूटने और तलाक के बाद भी कोई महिला अपने पूर्व पति द्वारा की जा रही ज्यादती के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी दी. जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस नवीन सिन्हा की सदस्यता वाली एक बैंच ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील खारिज करते हुए कहा कि यह आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है.

पृष्ठभूमि

  • राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा 30 अक्टूबर 2013 को कहा था कि विवाह अथवा घरेलू संबंधों का निर्वासन किसी एक व्यक्ति के लिए सुरक्षा की गारंटी देने के लिए नहीं था बल्कि यह कानून के दायरे में दिया गया फैसला है.
  • कोर्ट ने कहा कि यदि पीड़ित महिला किसी प्रकार के घरेलू संबंधों में रह चुकी है तो वह इस कानून के अस्तित्व में आने से पहले के समय हुई ज्यादती के खिलाफ भी अपील कर सकती है.
  • हाई कोर्ट ने एक उदाहरण देकर कहा था कि भले ही दोनों के बीच शादी खत्म हो गई हो, लेकिन अगर पूर्व पति तलाकशुदा पत्नी के साथ हिंसात्मक कृत्य करता है या उसके रिश्तेदारों और उस पर निर्भर लोगों के साथ हिंसात्मक व्यवहार करता है, तो महिला को कानून के तहत प्रोटेक्शन ऑर्डर लेने से नहीं रोका जा सकता.
  • कोर्ट ने कहा कि इसी तरह अगर तलाकशुदा पति साझा संपत्ति से पूर्व पत्नी को अलग कर देता है तो वह राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकती है.

 Women can file domestic violence complaint even after divorce

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घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005

•    पीड़ित महिला इस कानून के तहत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती है जैसे कि - संरक्षण आदेश, आर्थिक राहत, बच्चों के अस्थाई संरक्षण (कस्टडी) का आदेश, निवास आदेश या मुआवजे का आदेश.
•    अदालत में केस शुरू होने के पश्चात, मजिस्ट्रेट को अधिकतम 60 दिनों के भीतर केस का निवारण करने की कोशिश करनी होगी.
•    पीड़िता भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है.

घरेलू हिंसा क्या है?

शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना,मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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