विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत के MSME क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इस देश की राष्ट्रव्यापी पहल का समर्थन करने के लिए 500 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है, जो कोरोना वायरस संकट से काफी प्रभावित हुआ है.
04 जून, 2021 को जारी किये गये एक बयान के अनुसार, यह कार्यक्रम भारत के 5,55,000 MSME के प्रदर्शन में सुधार का लक्ष्य रखता है. भारत सरकार के 3.4 बिलियन अमरीकी डालर के MSME प्रतिस्पर्धात्मकता-ए पोस्ट-कोविड रेजिलिएशन एंड रिकवरी प्रोग्राम (MCRRP) के हिस्से के रूप में, 15.5 बिलियन अमरीकी डालर के वित्तपोषण को जुटाने की उम्मीद है.
इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) से 500 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण की परिपक्वता अवधि 18.5 वर्ष है, जिसमें 5.5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है.
विश्व बैंक द्वारा RAMP कार्यक्रम
यह 500 मिलियन अमरीकी डालर का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम कारोबार (RAMP) कार्यक्रम इस क्षेत्र में विश्व बैंक द्वारा प्रदान किया गया दूसरा योगदान है.
विश्व बैंक का पहला योगदान 750 मिलियन अमरीकी डालर का MSME आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्यक्रम था जिसे जुलाई, 2020 में COVID-19 महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित लाखों MSMEs की तत्काल तरलता और ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मंजूर किया गया था.
RAMP कार्यक्रम भारत के MSME क्षेत्र को कैसे मजबूत करेगा?
• विश्व बैंक द्वारा RAMP कार्यक्रम MSME क्षेत्र के विकास को लंबे समय से रोक रहे, मौजूदा वित्तीय मुद्दों से निपटने के लिए, इस आर्थिक सुधार के चरण में MSME उत्पादकता और वित्तपोषण बढ़ाने के लिए भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन करेगा.
• यह कार्यक्रम फर्मों को कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट से पूर्व की अवधि वाले रोजगार और उत्पादन स्तर को पुनः प्राप्त करने के लिए समर्थन देने के प्रयासों को तेज करेगा, जबकि MSME में दीर्घकालिक उत्पादकता-संचालित विकास और बेहद जरूरी नौकरियों के सृजन की नींव भी रखेगा.
भारत का MSME क्षेत्र: इसे विशेष सहायता की आवश्यकता क्यों है?
भारत का MSME क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, क्योंकि यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 30% और देश के निर्यात में 40% का योगदान देता है. देश के लगभग 58 मिलियन MSME में से 40% से अधिक के पास वित्त के औपचारिक स्रोतों तक पहुंच नहीं है.
महिलाओं के नेतृत्व में MSME सहित वित्तीय और गैर-वित्तीय सेवाओं के औपचारिक स्रोतों तक पहुंच को मजबूत करने और राष्ट्रीय और राज्य स्तर के MSME सहायता कार्यक्रमों में समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है.
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