विश्व बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2018 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी और वर्ष 2019 तथा वर्ष 2020 में यह बढ़कर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.
विश्व बैंक ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभावों से निकल चुकी है. अब इस विकास दर को बरकरार रखने के लिए भारत को हर साल लाखों नौकरियां सृजित करनी होंगी.
वहीं दूसरी ओर देश के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में मार्च में मामूली गिरावट दर्ज की गई है और यह 2.47 फीसदी रही, जो इसके पिछले महीने में 2.48 फीसदी थी. वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से 16 अप्रैल 2018 को जारी आंकड़े के मुताबिक, डब्ल्यूपीआई महंगाई दर मार्च 2017 में 5.11 फीसदी रही थी, जो वर्तमान दर के मुकाबले दोगुनी है.
वर्ष 2017 में 6.7 फीसदी जीडीपी थी:
विश्व बैंक ने अपने साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस में भारत के लिए कहा है कि वर्ष 2017 में जीडीपी 6.7 फीसदी थी, जो कि वर्ष 2018 में 7.3 फीसदी के आंकड़े को पार कर लेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि निजी निवेश और उपभोग काफी बढ़ेगा.
भारत को सालाना 81 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत: विश्व बैंक
विश्व बैंक के अनुसार भारत को अपनी रोजगार दर बरकरार रखने के लिए सालाना 81 लाख रोजगार पैदा करने की आवश्यकता है. विश्वर बैंक ने कहा कि हर महीने, 13 लाख नये लोग कामकाज करने की उम्र में प्रवेश कर जाते हैं. वर्ष 2005 से 2015 तक लगातार रोजगार का स्तकर गिर रहा है. जिसकी मुख्य वजह महिलाओं का नौकरियां छोड़ना है. विश्व बैंक ने कहा कि मौजूदा सरकार नये-नये बदलाव कर रही है. इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तेजी से बढ़ने की क्षमता रखती है.
साल में दो बार जारी होने वाली साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट ' जॉबलेस ग्रोथ ' में बैंक ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार की बदौलत इस क्षेत्र ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र का दर्जा फिर से हासिल कर लिया है.
साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट:
साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट यह विश्व बैंक की एक रिपोर्ट हैं, जिसे वर्ष में दो बार जारी की जाती है.
यह रिपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर को प्रस्तुत करता हैं.
रिपोर्ट के अनुसार निवेश और निर्यात बढ़ाने का सुझाव दिया गया हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में दक्षिण एशिया में सर्वाधिक जीडीपी वृद्धि दर वाला देश भारत रहा है, जबकि सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर वाला देश अफगानिस्तान रहा है.
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