24 मार्च: विश्व तपेदिक दिवस
टीबी के विषय में जानकारी देने तथा इसके बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 24 मार्च 2017 को विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाया गया. वर्ष 2017 का विषय है- टीबी के निदान हेतु एकजुटता: कोई छूट न जाए(Unite to End TB: Leave no one behind).
विश्व में प्रतिवर्ष क्षय रोग से दस लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. ट्यूबर क्लोसिस या टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है.
डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने वर्ष 1882 में पहली बार इस संक्रामक रोग के कारणों का पता लगाया था. टीबी से पूरी तरह निजात पाने के लिए छह से आठ महीने का एक डॉट्स का लघु कोर्स होता है. छह लाख डॉट प्रदाताओं के द्वारा डॉट्स की दवाएं देशभर में टीबी के मरीजों के लिए बिल्कुल मुफ्त दी जाती है.
किसी रोगी को दो हफ्तों से अधिक खांसी है, तो उसे अपने थूक की जांच अवश्य करवानी चाहिए.
भारत में प्रत्येक वर्ष 20 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं. भारत में टीबी के मरीजों की संख्या विश्व के किसी भी देश से ज्यादा है. यदि एक औसत निकालें तो विश्व के 30 प्रतिशत टीबी रोगी भारत में पाए जाते हैं.
टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे- क्षय रोग, तपेदिक तथा यक्ष्मा. टी.बी. के बैक्टीरिया साँस द्वारा शरीर के अन्दर प्रवेश करते हैं.
किसी रोगी के बात करने, खाँसने, छींकने या थूकने के समय बलगम और थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूँदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं तथा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में साँस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं.
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