अंटार्कटिका में दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड (आइसबर्ग) टूटकर अलग हो गया है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिका (Antarctica) को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां बर्फ की चादर का पिघलना जारी है. उपग्रहों और विमानों से ली गईं तस्वीरों के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है.
इस हिमखंड की लंबाई लगभग 170 किमी है जबकि इसकी चौड़ाई करीब 25 किमी है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के अनुसार अंटार्कटिका के वेडेल सागर में रोने आईस शेल्फ के पश्चिम हिस्से में हुआ है. इसका पता ईएसए ने कॉपरनिकस सेंटीनल सेटेलाइट से लगाया है.
वैज्ञानिकों ने इसे क्या नाम दिया?
ईएसए के अनुसार अब ये आइसबर्ग का टूटा हुआ विशाल हिमखंड वहां पर धीरे-धीरे आगे बह रहा है जो वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का कारण बना हुआ है. इस विशाल हिमखंड का पूरा आकार लगभग 4 हजार वर्ग किमी से भी अधिक है. वैज्ञानिकों ने इसको ए-76 नाम दिया है. इसका आकार न्यूयॉर्क के द्वीप पोर्टो रिको का करीब आधा है.
समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा
इस विशाल हिमखंड का पूरा आकार 4320 वर्ग किलोमीटर है. आइसबर्ग टूटने के इस घटना को यूरोपीय यूनियन के सैटेलाइट कापरनिकस सेंटीनल ने कैमरे में कैद किया है. यह सैटलाइट धरती के ध्रुवीय इलाके पर नजर रखता है. ब्रिटेन के अंटार्कटिक सर्वे दल ने सबसे पहले इस हिमखंड के टूटने की खबर दी थी.
जानकारों का कहना है कि हिमखंड के टूटने से सीधे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि नहीं होगी लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जलस्तर बढ़ सकता है. नेचर पत्रिका के अनुसार साल 1880 के बाद समुद्र के जलस्तर में औसतन 9 इंच की बढ़ोत्तरी हुई है. इनमें से एक तिहाई पानी ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने से आया है.
हिमखंड टूटने का कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका की बर्फ की चादर गर्म होकर पिघल रही है. इस वजह से ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं. जैसे ही ग्लेशियर पीछे हटते हैं, बर्फ के टुकड़े टूट जाते हैं और समुद्र में तब तक तैरते रहते हैं जब तक कि वे पूरी तरह से अलग नहीं हो जाते या जमीन से टकरा नहीं जाते. पिछले साल भी दक्षिण जार्जिया में भी एक बड़ा हिमखंड टूटा था.
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