वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) द्वारा हाल ही में लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2018 जारी की गई. इस रिपोर्ट में वन्यजीवन पर मानवीय गतिविधियों के भयानक प्रभाव की चर्चा की गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 1970 के बाद मानवीय गतिविधियों के कारण जीव-जन्तुओं की कुल संख्या में 60 प्रतिशत तथा वनस्पतियों में 87 प्रतिशत की देखी गई है.
स्मरणीय तथ्य |
वर्तमान में दुनिया के कुल स्तनधारी जीवों के सिर्फ 4 प्रतिशत जंगली जानवर हैं. वहीं मानव 36 प्रतिशत हैं और पशुधन (पालतू जानवर) 60 प्रतिशत हैं. 80 पृष्ठों की इस रिपोर्ट को 59 शोधकर्ताओं ने मिलकर तैयार किया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि मानव ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोककर रख पाते हैं तो भी कोरल मोर्टालिटी (समुद्री जीवों की मौत) 70 से 90 प्रतिशत रहने की संभावना है. |
रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य
• डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की यह रिपोर्ट वन्यप्राणी जीवन, समुद्री जीवन, झीलों तथा पर्यावरण पर व्यक्तिगत कार्यकलापों के प्रभाव को दर्शाती है.
• इस रिपोर्ट में एक नया खंड शामिल किया गया है जिसे मृदा जैव विविधता का नाम दिया गया है. इसमें कहा गया है कि वेटलैंड्स का समाप्त होना भारत के लिये गंभीर चिंता का विषय है.
• इस रिपोर्ट में वन्य जीव जन्तुओं के लिए उनके प्राकृतिक आवास का समाप्त होना, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, जलवायु परिवर्तन, आदि से होने वाले खतरों को भी शामिल किया गया है.
• यह रिपोर्ट मुख्य रूप से कृषि और वनों की कटाई द्वारा प्रकृति को होने वाले अत्यधिक नुकसान की ओर इशारा करती है.
• डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की भारतीय ईकाई के अनुसार विश्व भर में 4,000 से अधिक प्रजातियों पर शोध किया गया जिसमें 1970 से 2014 के बीच 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
• इस रिपोर्ट में, विशेष रूप से कशेरुकी प्रजातियों की निगरानी के आँकड़े भी शामिल हैं. जिसे स्तनधारियों, पक्षियों, मछली, सरीसृपों और उभयचरों की लगभग 22,000 से अधिक जनसंख्या की जानकारी वाले डेटाबेस से लिया गया था.
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