भारतीय लेखिका अनुराधा रॉय को मैन बुकर पुरस्कार 2015 के लिए चयनित 13 अंतरराष्ट्रीय लेखकों की प्रारंभिक सूची में शामिल किया गया.
मैन बुकर पुरस्कार 2015 के लिए 13 अंतरराष्ट्रीय लेखकों की प्रारंभिक सूची में भारतीय लेखिका अनुराधा रॉय के अलावा ब्रिटिश-भारतीय संजीव सहोता भी शामिल हैं. प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार समिति ने 29 जुलाई 2015 को इसकी घोषणा की.
रॉय को उनके तीसरे उपन्यास ‘स्लीपिंग ऑन जूपिटर’ और सहोता को ‘द इयर ऑफ रनवेज’ के लिए चुना गया. इस सूची में ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया और जमैका के लेखकों को भी शामिल किया गया. छह लेखकों की संक्षिप्त सूची 15 सितंबर 2015 को जारी की जाएगी जबकि वर्ष 2015 के विजेता की घोषणा 13 अक्टूबर 2015 को की जाएगी.
मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी. इस पुरस्कार के तहत विजेता को 60 हज़ार पाउण्ड की राशि दी जाती है.
मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन (अंग्रेजी: Man Booker Prize for Fiction) जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, राष्ट्रमंडल या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए प्रति वर्ष दिया जाता है.
इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है. पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था.
वर्ष 2008 का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिगा को दिया गया. अरविन्द अडिगा को मिलाकर कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है (अन्य लेखक - वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रशदी और किरन देसाई) और कुल 9 पुरस्कार विजेता उपन्यास ऐसे हैं जिनका कथानक भारत या भारतीयों से प्रेरित है.
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