अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवार जून 2014 में हुए वोटिंग में डाले गए हर एक वोट की ऑडिट के लिए 13 जुलाई 2014 को सहमत हो गए. यह अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के हिंसा और जातिय अशांति की आशंका को पैदा करने वाले तीव्र गतिरोध को खत्म करने के प्रयासों के लिए किए गए मध्यस्थता का परिणाम है.
राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवार अशरफ घनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला काबुल में दो दिनों तक चली वार्ता के बाद सहमत हुए. समझौते के मुताबिक, वोटों की ऑडिट के बाद विजेता देश में राष्ट्रपति के रूप में सेवाएं देगा और राष्ट्रीय एकता के लिए तत्काल सरकार बनाएगा.
इसके अलावा यह समझौता 10 जुलाई 2014 को बनाए गए अमेरिकी प्रस्ताव की तुलना में कहीं अधिक व्यापक था. अमेरिकी प्रस्ताव के मुताबिक, मतपत्र भराई के संदेह वाले 8000 से अधिक मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों का ऑडिट होगा जो कि कुल वोटिंग का 44% है.
पृष्ठभूमि
निवर्तमान राष्ट्रपति हामिद करजई का उत्तराधिकारी चुनने के लिए कराए गए मतदान ने देश को राजनीतिक संकट में डाल दिया और अमेरिकी के सत्ता हस्तांतरण की सरल उम्मीद को ठेस पहुंचाई क्योंकि वाशिंगटन साल 2016 तक अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिक वापिस बुलाने वाला था.
सात जुलाई 2014 को जारी प्रारंभिक परिणामों में घनी को करीब 56% वोटों से आगे दिखाया गया था. अब्दुल्ला को 44% वोट मिलना दिखाया जा रहा था. हालांकि, अब्दुल्ला ने मतदान में बड़े पैमाने पर घोखाधड़ी का हवाला देते हुए खुद को वास्तिवक विजेता घोषित किया था.
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