अमेरिका की दवा कंपनी मैप बायोफार्मास्युटिकल ने इबोला से ग्रस्त व्यक्तियों के इलाज के लिए ‘जेड मैप’ (ZMapp) नामक दवा अगस्त 2014 के पहले सप्ताह में पेश की. इस दवा को एक गुप्त सीरम बताया गया. यह मैप बायोफार्मास्युटिकल और कनाडा की कंपनी डिफाइरस (Defyus) द्वारा उत्पादित दवाओं का कॉकटेल है.
यह दवा सबसे पहले अमेरिका के दो डॉक्टरों केंट ब्रैंट्ली और नैंसी राइटबो को दिया गया जो लाइबेरिया में इबोला के मरीजों का इलाज करते हुए इस वायरस से पीड़ित हो गए थे. यह दवा अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्रशासन द्वारा विशेष अनुमति के बाद दी गई.
‘जेड मैप’ (ZMapp) दवा का परीक्षण अभी तक केवल बंदरों पर ही किया गया. वर्ष 2015 में इसका परीक्षण स्वस्थ्य मनुष्य स्वयंसेवकों पर किया जाना है. इबोला के अचानक प्रकोप और बीमारी के इलाज में दवा की प्रभावकता ने प्रक्रिया को तेज कर दिया है और वैश्विक आपातस्थिति को देखते हुए परीक्षण उन्नत किया जा सकता है.
‘जेड मैप’ (ZMapp) का विकास
इस दवा में इबोला से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए निष्क्रिय टीकाकरण की नई विधि का प्रयोग किया गया. सबसे पहले एंटीबॉडी को संक्रमित मरीजों से निकाला गया और फिर उसे चूहों में डाल दिया गया. इसके बाद इबोला प्रोटीन को आनुवंशिक रूप से परिवर्तित किया गया और उसे जर्मनी की कंपनी आईकॉन जेनेटिक्स द्वारा विकसित तरीके से तंबाकू के पत्तों पर डाला गया.
अंता में इबोला वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज को जो इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा को विकसित करते हैं, मरीजों के शरीर में डाला गया.
मैप बायोफार्मास्युटिकल
मैप बायोफार्मास्युटिकल की स्थापना अमेरिका के कैलिफोर्निया के सैन डियागो में वर्ष 2003 में हुई थी. इसकी स्थापना जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व शिक्षक मि. लैरी जेटलिन और डॉ. केविन जे ह्वेले ने की थी. यह कंपनी अपने नौ कर्मचारियों के साथ जिसमें वैज्ञानिक भी हैं, अमेरिका के रक्षा विभाग के लिए जैविक युद्ध संबंधित क्षेत्रों में काम कर रही है.
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