अरब लीग ने 27 नवंबर 2011 को सीरिया के खिलाफ प्रतिबंध का प्रस्ताव पारित किया. अरब लीग द्वारा सीरिया पर यह प्रतिबंध शांति प्रस्ताव पर तय समय सीमा में अमल न कर पाने के कारण लगाया गया. अरब लीग के 22 में से 19 सदस्यों ने सीरिया पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का समर्थन किया. जबकि इराक और लेबनान मतदान में अनुपस्थित रहे.
अरब लीग द्वारा सीरिया के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों में सीरिया के केन्द्रीय बैंक के साथ लेन-देन करने, सीरिया सरकार के कार्यक्रमों को सहायता देने आदि पर प्रतिबंध शामिल है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2011 से नवंबर 2011 तक सीरिया में हुई हिंसा की इन घटनाओं में 3500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी सीरिया सरकार के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं जिनमें सीरिया से तेल के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है.
अरब लीग की 27 नवंबर 2011 को हुई बैठक में बहरीन और कतर ने अपने नागरिकों को सीरिया छोड़ने की सलाह दी. संयुक्त अरब अमीरात पूर्व में ही अपने नागरिकों को ऐसी सलाह जारी कर चुका है.
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2011 में सीरिया सरकार (राष्ट्रपति बशर अल असद) के विरोध में वहां की जनता ने लगभग आठ माह तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकर्ताओं के खिलाफ सीरिया सरकार द्वारा हिंसक दमन को रोकने हेतु अरब लीग ने शांति प्रस्ताव को एक तय समय सीमा तक लागू करने का आदेश दिया था. शांति प्रस्ताव पर तय समय सीमा में अमल न कर पाने के कारण अरब लीग द्वारा सीरिया पर लगाया गया प्रतिबंध अपने आप में अभूतपूर्व है.
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