भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने 16 फरवरी 2014 को कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए विकसित तैयार भोजन के पेस्ट को पेश किया.
संस्थान के प्रोफेसर डॉ. एच एन मिश्रा के नेतृत्व में चार सदस्यों की टीम ने इसे फूड केमेस्ट्री एंड टेक्नोलॉजी लैब में तैयार किया. इस पेस्ट को कुपोषण के शिकार बच्चों के मेडिकल न्यूट्रिशन थेरेपी के हिस्से के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने मूंगफली, आलू और चना से अलग– अलग स्वाद औऱ कुपोषित बच्चों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए पांच प्रकार के पेस्ट बनाए. साथ ही यह पेस्ट सुपाच्य भी है. इसमें सभी कुपोषित बच्चों के लिए आवश्यक सभी विटामिन, खनिज, पोषत तत्व और प्रोटीन मौजूद हैं.
चूंकि इस खाद्य पदार्थ को समाज के वंचित वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है इसलिए बाजार में इसकी कीमत प्रति किलोग्राम 50 से 60 रुपये होने की उम्मीद है.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस परियोजना के लिए आईआईटी खड़गपुर को 1.8 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. आईआईटी खड़गपुर ने दिल्ली के गट्टपू केमिकल्स के साथ समझौता किया है जिसे इस पेस्ट को बेचने का अधिकार होगा.
इस खाद्य पेस्ट को तैयार करने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने मशीनें भी तैयार की हैं. उम्मीद है कि यह खाद्य सामग्री अगले वर्ष तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगी.
भारत में कुपोषण
यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक विश्व के प्रत्येक तीन कुपोषित बच्चों में से एक भारत में रहता है. बचपन में कुपोषण के शिकार होने का दीर्घकालिक असर पड़ता है क्योंकि इससे बीमारियों और असमय मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तैयार चिकित्सीय खाद्य पदार्थों के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसके अनुसार इनका इस्तेमाल कुपोषण की चपेट में आए बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए किया जा सकता है.
एक अनुमान के मुताबिक देश में गंभीर कुपोषण के शिकार करीब 8.1 मिलियन बच्चे हैं. भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बीमारी और मृत्यु की यह एक बड़ी वजह है.
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