आपराधिक कानून में संभावित संशोधनों के बारे में सुझाव देने के लिए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय समिति ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट 23 जनवरी 2013 को सौंपी. दिल्ली में पैरा मेडिकल छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 को हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के गृहमंत्रालय ने मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने की आवश्यकता पर गंभीरता से विचार करने के बाद इस समिति का गठन 23 दिसंबर 2012 को किया था. इस समिति के अन्य सदस्य हिमाचल प्रदेश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति लीला सेठ और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम थे.
समिति की प्रमुख सिफारिशें:
1. न्यायालय के संज्ञान लेते ही आरोपी के चुनाव लड़ने पर रोक लगे.
2. चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के हलफनामे की कैग से जांच होनी चाहिए.
3. दुष्कर्म के आरोपी को शस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत सुरक्षा नहीं मिले.
4. आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से पूर्व अनुमति जरूरी नहीं.
5. अपराध कानून संशोधन विधेयक-2012 में यौन उत्पीड़न (सेक्सुअल असॉल्ट) की जगह पहले से मौजूद दुष्कर्म (रेप) शब्द का प्रयोग किया जाए.
6. आत्मरक्षा कानून में संशोधन कर एसिड हमले को भी शामिल किया जाए.
7. छेड़खानी व दुष्कर्म के मामले में एफआइआर नहीं करने वाले अधिकारी को पांच वर्ष की सजा का प्रावधान किया जाए.
8. एसिड हमले के दोषी को 10 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा हो.
9. अश्लील हरकत पर एक वर्ष की सजा हो.
10. शारीरिक छेड़छाड़ पर 5 वर्ष की सजा.
11. महिला के कपड़े जबरन उतारने पर तीन वर्ष से सात वर्ष की सजा.
12. महिला का पीछा करने वाले को एक से तीन वर्ष की सजा.
13. छेड़खानी करने पर 1 से 7 वर्ष की सजा.
14. मानव तस्करी की सजा 7 से 10 वर्ष.
15. एक से अधिक लड़कियों की तस्करी पर सजा 10 वर्ष से उम्रकैद तक.
16. नाबालिग की तस्करी में भी 10 वर्ष से उम्रकैद तक की सजा.
17. एक से अधिक नाबालिग की तस्करी पर 14 वर्ष से उम्रकैद तक की सजा.
18. एक से अधिक बार मानव तस्करी में पकड़े जाने पर जीवित रहने तक जेल की सजा.
19. तस्करी कर लाए गए बाल श्रमिक को काम देने वाले नियोक्ता को भी पांच वर्ष की सजा, ऐसे बालिग को नौकरी पर रखने वाले को तीन से पांच वर्ष की सजा.
20. दुष्कर्म की परिभाषा में संशोधन कर अप्राकृतिक यौनाचार को भी शामिल किया जाए.
21. दुष्कर्म की सजा सात वर्ष से उम्रकैद की जाए, पीडि़ता को मुआवजा मिले.
22. संरक्षण में दुष्कर्म की स्थिति में सजा 10 वर्ष से उम्रकैद तक.
23. दुष्कर्म से मौत या मौत की स्थिति तक पहुंचने पर कम से कम 20 या जीवन पर्यत जेल.
24. नाबालिग से दुष्कर्म की स्थिति में 10 वर्ष से उम्रकैद तक की सजा.
25. सामूहिक दुष्कर्म की नई धारा बनाकर 20 वर्ष से जीवनपर्यत कैद की सजा और मुआवजा.
26. सामूहिक दुष्कर्म से मौत या मौत की स्थिति में पहुंचने पर जीवनपर्यत कैद की सजा.
27. दोबारा दुष्कर्म के आरोपी को जीवनपर्यत जेल की सजा.
28. सुरक्षा का दायित्व निभाने में नाकामी की वजह से दुष्कर्म की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारी को सात से 10 वर्ष की सजा.
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