अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक समूह ने पार्किंसन रोग में आयरन की ज्यादा मात्रा को खतरनाक सिद्ध किया. इस शोध की घोषणा जनवरी 2016 के अंतिम सप्ताह में की गई. अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, आयरन ब्रेन को प्रभावित करने वाले न्यूरॉन को क्षतिग्रस्त कर देता है. इससे पार्किंसन की स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है.
शोध से संबंधित मुख्य तथ्य:
• लाइसोसोम में गड़बड़ी के चलते संबंधित न्यूरॉन को नुकसान पहुंचता है. इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है, जिससे सेंट्रल नर्व सिस्टम पर प्रतिकूल असर पड़ता है. जो पार्किंसन का मुख्य कारण है.
• लाइसोसोम कोशिकाओं को दुरुस्त करने का केंद्र होता है, जहां प्रोटीन को नियंत्रित किया जाता है. इसमें गड़बड़ी आने पर यह काम रुक जाता है, जिससे पूरा शरीर प्रभावित होता है.
• उपरोक्त अध्ययन के मुताबिक इस परिस्थिति में आयरन लाइसोसोम के बजाय सीधे न्यूरॉन में पहुंच जाता है. लौह पोषक तत्व की अधिकता से न्यूरॉन क्षतिग्रस्त होने लगता है.
• लाइसोसोम आयरन को संग्रहीत भी करता है. ऐसे में इसमें गड़बड़ी होने पर पूरा तंत्र ही प्रभावित हो जाता है.
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