आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने अतिरिक्त रेल लाइनों के निर्माण को मंजूरी दी

Feb 18, 2016, 14:38 IST

इसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों में यात्री एवं माल ढुलाई दोनों की ही बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए छह रेल लाइनों और एक रेल पुल के निर्माण को मंजूरी दी गई.  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 17 फरवरी 2016 को अतिरिक्त रेल लाइनों के निर्माण को मंजूरी प्रदान की. इसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों में यात्री एवं माल ढुलाई दोनों की ही बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए छह रेल लाइनों और एक रेल पुल के निर्माण को मंजूरी दी गई.

उपरोक्त प्रस्ताव पर 10,700 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत आएगी और कुल खर्च के अधिकांश हिस्से को अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के माध्यम से पूरा किया जाएगा.

स्वीकृत परियोजनाओं से संबंधित मुख्य तथ्य:

1. हुबली-चीकाजुर रेल लाइन का दोहरीकरण:

इसके तहत 190 किलोमीटर लंबी हुबली-चीकाजुर ब्रॉड गेज एकल रेल लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दी गई. इस पर कुल मिलाकर 1294.13 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. यह परियोजना 13वीं योजनावधि के दौरान सवा चार वर्षों में पूरी होने की संभावना है और यह चित्रदुर्ग, दावणगेरे, हावेरी एवं धारवाड़ क्षेत्रों को कवर करेगी.
यह खंड मुंबई एवं बेंगलुरू के बीच यात्री रेलगाड़ियों और मंगलोर स्थित बंदरगाहों तक जाने वाली मालगाड़ियों के एक महत्वपूर्ण रेल संपर्क का हिस्सा है. इस रूट पर बेंगलूर-टुमकुर और अर्सिकेरे-चीकाजुर के दोहरीकरण का काम पहले ही पूरा कर लिया गया है. शेष हिस्से में हुबली-लोंडा-वास्को-डा-गामा के हुबली-लोंडा भाग के दोहरीकरण का काम भी जारी है.


2. वर्धा (सेवाग्राम)-बल्लारशाह तीसरी रेल लाइन का निर्माण:

इसके तहत 132 किलोमीटर लंबी वर्धा (सेवाग्राम)-बल्लारशाह तीसरी रेल लाइन का निर्माण कार्य 1443.32 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ शुरू किया जाएगा. यह परियोजना 13वीं योजनावधि के दौरान पांच वर्षों में पूरी होने की संभावना है और यह वर्धा एवं चंद्रपुर जिलों में अवस्थित होगी.

इस खंड की लाइन क्षमता का उपयोग अपनी पूर्णता पर पहुंच चुका है और इस खंड पर अतिरिक्त मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों एवं मालगाड़ियों की आवाजाही से ट्रेनों का परिचालन बाधित होता है. वर्धा (सेवाग्राम)-बल्लारशाह खंड नागपुर प्रभाग से आने वाली वस्तुओं के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां इस खंड पर अनेक कोयला खदानें और कई छोटी पटरियां प्रस्तावित हैं.


3. रमना-सिंगरौली रेल लाइन का दोहरीकरण:

160 किलोमीटर लंबी रमना-सिंगरौली रेल लाइन के दोहरीकरण को 2675.64 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी दी गई है और यह परियोजना वर्ष 2019-20 तक पूरी होने की संभावना है. यह परियोजना झारखंड के गढ़वा, मध्य प्रदेश के सिंगरौली और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिलों को कवर करेगी.
रमना-सिंगरौली खंड पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद प्रभाग में पड़ता है. मौजूदा समय में इस खंड का यातायात उपयोग 105 फीसदी है, जिससे रेलगाड़ियों का परिचालन बाधित होता है और इसके साथ ही राजस्व का नुकसान भी होता है. इस खंड पर अपेक्षित यातायात प्रवाह सुनिश्चित करने और इस खंड की क्षमता बढ़ाने के लिए एकल लाइन वाले इस खंड का दोहरीकरण परिचालन की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है. इस परियोजना से नॉर्दर्न कोलफील्ड्स के अधिकार क्षेत्र में आने वाली यात्री एवं माल ढुलाई के साथ-साथ अनपरा और शक्तिनगर के आस-पास अवस्थित अनेक विद्युत संयंत्रों एवं संबंधित लघु उद्योगों जैसे कि अनपरा सुपर थर्मल पावर प्लांट, रिहंद सुपर थर्मल पावर प्लांट, रेणुसागर हाइड्रो पावर प्लांट, सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्लांट और विंध्याचल सुपर थर्मल पावर प्लांट की जरूरतें भी पूरी होंगी.


4. अनूपपुर और कटनी के बीच तीसरी रेल लाइन का निर्माण:
इसके तहत मध्य प्रदेश में अनूपपुर और कटनी के बीच 165 किलोमीटर लंबी तीसरी रेल लाइन के निर्माण को भी 1595.76 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी दी गई है. यह परियोजना 12वीं एवं 13वीं योजनावधि के दौरान सवा पांच वर्षों में पूरी होने की संभावना है. यह परियोजना मध्य प्रदेश के अनूपपुर, शहडोल, उमरिया एवं कटनी जिलों को कवर करेगी.

5. कटनी-सिंगरौली रेल लाइन का दोहरीकरण:

इसके तहत 261 किलोमीटर लंबी कटनी-सिंगरौली रेल लाइन के दोहरीकरण को 2084.90 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी दी गई. यह परियोजना सवा पांच वर्षों में पूरी होगी. यह परियोजना मध्य प्रदेश में कटनी, शहडोल, सिद्धि और सिंगरौली जिलों को कवर करेगी.

6. अतिरिक्त पुल का निर्माण और रामपुर डुमरा-ताल-राजेन्द्रपुल की दोहरीकरण परियोजना:

इसके तहत बिहार में अतिरिक्त पुल के निर्माण और रामपुर डुमरा-ताल-राजेन्द्रपुल खंड की दोहरीकरण परियोजना को सीसीईए ने 1700.24 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी दी. यह परियोजना वर्ष 2019-20 तक पूरी होने की संभावना है. यह परियोजना बिहार के बेगूसराय और पटना जिलों में अवस्थित है.

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