बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा मध्यवर्ती संस्थाओं (बीमा कंपनियों से इतर कंपनियों) और तृतीय पक्ष प्रशासकों (टीपीए) में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए सुरेश माथुर की अध्यक्षता में एक नई समिति का गठन किया है. समिति में तीन सदस्य होंगे.
समिति के विचारार्थ विषय
• बीमा मध्यवर्ती संस्थाओं के लिए एफडीआई सीमा और बढ़ाने के विकल्प तलाशना.
• उद्योग और अन्य संबंधित क्षेत्रों पर इस बढ़ोतरी के संभावित प्रभाव का विश्लेषण करना.
• संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं की समीक्षा करना.
• यह जाँच करना कि अगर संभव हो तो मध्यवर्ती संस्थाओं में एफडीआई सीमा किस हद तक बढ़ाई जा सकती है और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का अध्ययन करना.
वर्तमान में, कोई विदेशी कंपनी किसी बीमा कंपनी में 26% से ज्यादा शेयर नहीं रख सकती. लेकिन बीमा मध्यवर्ती संस्थाओं के संबंध में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है.
बीमा-बिचौलियों ने भी विदेशी शेयरधारिता की वर्तमान सीमा 26% से बढ़ाकर 100% करने की सतत माँग की थी. इस प्रस्तावित बदलाव के लिए बीमा अधिनियम में कोई संशोधन करना जरूरी नहीं होगा. लेकिन बीमा मध्यवर्ती संस्थाओं या टीपीए में विदेशी शेयरधारिता बढ़ाने के लिए बीमा अधिनियम को संशोधित किया जाएगा.
राज्य सभा में बीमा विधेयक 2008 से लंबित है. इस बिल में बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा वर्तमान 26% से बढ़ाकर 49% करने का प्रावधान है.
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