भारत के उच्चतम न्यायालय ने 16 अप्रैल 2015 को मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 19(1) में प्रदत्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस अधिकार का प्रयोग राष्ट्रीय स्तर के प्रभावशाली व्यक्तित्व जैसे महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस को अपशब्द कहने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता.
उच्चतम न्यायालय ने आगे यह भी घोषणा की  कि कलात्मक अभिव्यक्ति की आड़ में ऐतिहासिक व्यक्तित्व के खिलाफ अपमानजनक भाषा का सहारा नहीं लिया जा सकता.
यह फैसला न्यायाधीश दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की पीठ द्वरा एक याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया. यह याचिका वसंत दत्तात्रेय गुर्जर द्वारा दायर की गई थी जो इस समय महात्मा गांधी पर एक आपत्तिजनक कविता लिखने के लिए आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं.
मराठी कविता गांधी माला भेटला(मेरी गांधी से मुलाकात) में कवि ने गांधी को एक वाचक के रूप में दर्शाया है जो कविता में अश्लील भाषा का उपयोग करता है. 
यह कविता महाराष्ट्र बैंक कर्मचारी संघ,1994 की एक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी .

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