उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों की रिहाई पर सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगाई

Jul 10, 2014, 14:49 IST

सर्वोच्च न्यायालय ने 9 जुलाई 2014 को उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों की राज्य सरकारों द्वारा माफी देकर की जाने वाली रिहाई पर अंतरिम रोक लगा दी.

सर्वोच्च न्यायालय ने 9 जुलाई 2014 को उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों की राज्य सरकारों द्वारा माफी देकर की जाने वाली रिहाई पर अंतरिम रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह फैसला दिया.

संविधान पीठ ने उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों की रिहाई पर अंतरिम रोक लगाने के साथ ही साथ इस संदर्भ में सभी राज्य सरकारों को एक नोटिस जारी कर 18 जुलाई 2014 तक उनसे जबाब मांगा है. नोटिस में मुख्य रूप से राज्य सरकारों से पूछा गया है कि, ‘केन्द्रीय कानूनों में दोषी ठहराये गए व्यक्ति या सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी के मुकदमे में दोषी करार उम्रकैद की सजा प्राप्त अपराधियों को माफी देकर छोड़ने में राज्य सरकारों को केंद्र की सहमति लेना जरुरी है या नहीं?’ इसके साथ ही साथ सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ ने कुल 7 कानूनी सवालों पर राज्यों से जबाब मांगा है.

सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ द्वारा राज्यों से पूछे गए 7 कानूनी सवालों की सूची

1- क्या ताउम्र कैद की सजा काट रहा उम्रकैदी रिहाई की मांग कर सकता है या फिर विशेष अपराधों में जिनमें फांसी की सजा ताउम्र कैद में तक्दील की गई हो, ऐसे दोषी की सजा माफ कर रिहा करने पर रोक लगाई जा सकती है?
2- जिस मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल संविधान में मिली माफी देनी की शक्ति का इस्तेमाल कर चुके हों, क्या उस मामले में सरकार सीआरपीसी की धारा-432 या 433 की शक्ति का इस्तेमाल कर दोषी को माफी दे सकती है?
3- जहां पर राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को कानून में माफी देने का हक हो, वहां क्या सीआरपीसी की धारा-432 (7) में केंद्र सरकार को प्राथमिकता दी गई है और राज्य को बाहर कर दिया गया है?
4- संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची तीन में दिए गए विषय में माफी देने की शक्ति में केंद्र को राज्य सरकार से ज्यादा प्राथमिकता है?
5- क्या सीआरपीसी की धारा-432 (7) में माफी देने में दो सरकारों (केंद्र और राज्य) में किसे उचित सरकार माना जाएगा?
6- क्या सरकार स्वयं से माफी देने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है या उसके लिए कानून में तय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है?
7- सीआरपीसी की धारा-435 में केंद्र सरकार से परामर्श करने की बात का मतलब सहमति से है?

पृष्ठभूमि

उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों की रिहाई पर सर्वोच्च न्यायालय यह फैसला, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को माफी देकर छोड़ने संबंधी तमिलनाडु सरकार के आदेश के बाद आया. जिसपर (तमिलनाडु सरकार के आदेश पर) सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी.

विदित हो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सात हत्यारों की उम्रकैद की सजा को माफी देकर छोड़ने संबंधी तमिलनाडु सरकार के आदेश के बाद, केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राजीव गांधी के सात हत्यारों को माफी देकर रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को चुनौती दी. केंद्र सरकार ने अपनी दलील में कहा कि, राजीव गांधी हत्याकांड की जांच सीबीआइ ने की एवं दोषियों को विस्फोटक अधिनियम व अन्य केंद्रीय कानूनों में सजा हुई. ऐसे मामलों में राज्य सरकार दोषी की सजा माफ नहीं कर सकतीं. उन्हें माफी देने से पहले केंद्र की मंजूरी लेनी होगी. केंद्र सरकार के इस याचिका के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल 2014 को इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को विचार के लिए भेज दिया. मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति जेएस खेहर, जे. चेल्मेश्वर, एके सीकरी और न्यायाधीश रोहंगटन फली नरिमन शामिल हैं.

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