अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने 22 अक्टूबर 2014 को इंचियोन एशियाई खेल 2014 में एक विवादित फैसले का विरोध करने पर भारतीय मुक्केबाज लाइशराम सरिता देवी को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है.
एशियाई खेल 2014 के दौरान सरिता ने 57–60 किलोग्राम श्रेणी में लाइटवेट सेमीफाइनल के पदक वितरण समारोह के दौरान कांस्य पदक लेने से इनकार कर दिया था.
सरिता के अलावा, एआईबीए ने सरिता के कोच मे. गुरबक्श सिंह संधू, बेलस इगलेसिआस फर्नांडिज और सागर मल धयाल के साथ भारत के इंचियोन एशियाड के प्रमुख अदील जे. सुमारीवाला को भी अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है.
एआईबीए की अधिसूचना के अनुसार, संघ ने सरिता के मामले को एआईबीए अनुशासन आयोग के पास समीक्षा के लिए भेजा है, जिसका अर्थ है अगली सूचना आने तक निलंबित लोग किसी भी स्तर की प्रतियोगिताओं, इवेंट्स या बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकते. इन लोगों को जेजू द्वीप, कोरिया में होने वाले 2014 के एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भी हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी.
सरिता और उनके कोचों के निलंबन का कारण
उन्तीस वर्षीय मुक्केबाज ने पदक को अपने हाथों में लिया और फिर उसे दक्षिण कोरियाई रजत पदक विजेता मुक्केबाज जी– ना पार्क को थमा दिया, जिन्होंने सरिता को मुकाबले में हराया था. सरिता की हार विवादित थी और यह रेफरी के गलत फैसला का परिणाम लगती थी. रेफरी का फैसला इसलिए विवादित हुआ क्योंकि मुकाबले में सरिता अपने विरोधी पर भारी पड़ रही थीं खासकर अंतिम दो राउंड्स में जहां उन्होंने अपने जोरदार मुक्के से अपनी विरोधी के नाक को खून से लथपथ कर दिया था, लेकिन जजों ने जीना के पक्ष में फैसला सुनाया.
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