एचएसबीसी (होन्गकोंग एंड शंघाई बैंक कारपोरेशन) ने 13 मई 2015 को भारत की रेटिंग को घटाकर ओवरवेट से अंडरवेट किया. 12 मई को जारी मुद्रास्फीति के आंकडों के बाद एचएसबीसी ने यह कदम उठाया.
एचएसबीसी ने एशिया में भारत में ही सबसे ज्याददा निवेश किया है, इसके बावजूद भारतीय बाजार को अंडरवेट रेटिंग में रखा गया है. कंपनियों के मुनाफे में कमी, अपर्याप्त नतीजों तथा बेमौसमी बरसात के कारण हुई आर्थिक हानि के चलते यह निर्णय लिया गया है.
एचएसबीसी ने चीन और सिंगापुर के बाजार की ओवरवेट रेटिंग कायम रखी है. एचएसबीसी के मुताबिक चीन में स्टिमुलस से कमोडिटी में तेजी आएगी और चीन में दरें घटना भारत के लिए निगेटिव होगा. साथ ही अल-नीनो का भारत पर निगेटिव असर हो सकता है.
रेटिंग कम किये जाने के मुख्य कारण हैं, मुद्रास्फीति द्वारा लाभ में कमी के संकेत, ब्याज दरों में कटौती से रिटर्न में कमी, रूपए का अंतरराष्ट्रीय मूल्य कम होना तथा ख़राब मौसम से फसलों की बर्बादी.
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