एम. शशिधर रेड्डी ने 17 जून 2014 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो एनडीएमए के अध्यक्ष भी है, को अपना इस्तीफे भेज दिया.
रेड्डी को वर्ष 2005 में एनडीएमए का सदस्य नियुक्त किया गया और दिसंबर 2010 में उपाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया था.
रेड्डी के अलावा पांच अन्य एनडीएमए के सदस्यों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दिया है और वे इस प्रकार थे-
• पूर्व केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक के.एम. सिंह
• पूर्व नागरिक उड्डयन सचिव के. एन. श्रीवास्तव
• मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जे.के. बंसल
• पूर्व भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर की निदेशक बी. भट्टाचार्य
• पूर्व सीबीआई विशेष निदेशक के. सलीम अली
रेड्डी के साथ सभी अन्य लोगों ने भी इस्तीफा दे दिया जो यूपीए सरकार के दौरान नियुक्त किए गए थे.
तीन सदस्य जिन्होंने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है-
• पूर्व केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक जे. के. सिन्हा
• चिकित्सा विशेषज्ञ मुजफ्फर अहमद
• पूर्व महासागर विकास विभाग के सचिव हर्ष के. गुप्ता
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के बारे में
भारत सरकार ने 23 दिसंबर 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के निर्माण की परिकल्पना की. इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है जबकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMAs) के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है. यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण को लागू करने के लिए काम करता है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अंतर्गत आठ सदस्य होते हैं जिसमें उपाध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है जबकि शेष सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है.
एक संगठन के रूप में एनडीएमए का उद्भव-
भारत सरकार ने अगस्त 1999 में गुजरात में आए भूकंप के बाद आपदा प्रबंधन को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में महत्व देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति (एचपीसी) और एक राष्ट्रीय समिति गठित की.
समिति का गठन आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी और प्रभावी शमन तंत्र के सुझावों की सिफारिशों के लिए किया गया.
इसके अलावा, आपदा प्रबंधन पर एक विस्तृत अध्याय योजना दस्तावेज के रूप में पहली बार दसवीं पंचवर्षीय योजना में उपलब्ध थी. बारहवीं वित्त आयोग ने भी आपदा प्रबंधन की वित्तीय व्यवस्था की समीक्षा को अनिवार्य किया.

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