कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भविष्य निधि (पीएफ) से संबंधित दिशा-निर्देश 27 मई 2014 को जारी किए. ईपीएफओ द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, जिन कर्मचारियों का बेसिक वेतन 6500 रूपए या उससे कम है, उन्हें भविष्य निधि में 12 प्रतिशत योगदान करना अनिवार्य है. साथ ही कर्मचारी के नियोक्ता कंपनी को भी उतनी ही राशि संबंधित कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में अंशदान करना होगा.
ईपीएफओ ने अपने दिशा- निर्देश में यह भी प्रावधान किया कि जिन कर्मचारियों का मूल वेतन 6500 रूपए से अधिक है, उन्हें अपने भविष्य निधि खाते में राशि जमा करने की अनिवार्यता नहीं है.
मामला क्या है?
जिन कर्मचारियों का मूल वेतन अधिक है क्या उनकी नियोक्ता कंपनी उन्हें पीएफ में पैसे देने के लिए दबाव डाल सकती हैं? इससे संबंधित मामले को मराठवाड़ा ग्रामीण बैंक कर्मचारी और अन्य ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि जिन कर्मचारियों का मूल वेतन अधिक है, उन पर भविष्य निधि के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि कोई भी कंपनी भविष्य निधि के तहत कर्मचारियों को देने वाली सुविधाओं और फायदों को कम नहीं कर सकती.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है. कर्माचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1952 के अंतर्गत इस संगठन की स्थापना हुई. जो 4 मार्च 1952 से लागू हुआ.
संगठन के प्रबंधकों में केंद्रीय न्यासी मण्डल, भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, नियोक्ता और कर्मचारी शामिल होतें हैं. इसकी अध्यक्षता भारत के केंद्रीय श्रम मंत्री करतें हैं. सदस्यों और वित्तीय लेनदेन की मात्रा के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा संगठन है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.

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