अमेरिका के किट पीक नेशनल ऑब्जरवेट्री (Kitt Peak National Observatory) में मैक्कवायर विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रीयों ने केएन61 (Planetary Nebula Kn 61, Kronberger 61) नामक एक नई निहारिका की खोज की.
ज्ञातव्य हो कि जुलाई 2011 के चौथे सप्ताह में मैक्कवायर विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रीयों ने किट पीक नेशनल ऑब्जरवेट्री के दूरबीन से इस निहारिका का पता लगाया. इससे पूर्व खगोलशास्त्रीयों ने केएन61 (Planetary Nebula Kn 61, Kronberger 61) को निहारिका नहीं माना था. खगोलशास्त्रीयों के दल का नेतृत्व करने वाले ओरसोला डे मार्को के अनुसार इसके आकार और रंग का गहन अध्ययन करने के पश्चात इसके निहारिका होने की पुष्टि की गई.
अब तक हमारी आकाशगंगा में करीब 300 निहारिकाएं खोजी गई हैं. खगोलशास्त्रीयों के अनुसार जब किसी तारे के कोर में हाइड्रोजन गैस की कमी हो जाती है, तो वह गैस के विशाल गोले में तब्दील हो जाता है. तारे की अंदरूनी परत और कोर अत्यधिक ऊष्मा के कारण लाल रंग सरीखी दिखती है. जबकि तारे का बाहरी परत पराबैंगनी प्रकाश के कारण बैंगनी रंग जैसा दिखता है. इसी कारण से निहारिका देखने में इतनी खूबसूरत प्रतीत होती है. हालांकि निहारिका निर्माण का यह सिद्धांत सिर्फ कयास है, सही मायने में इस विषय पर शोध जारी है.
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