ग्रीन बॉन्ड्सः जलवायु परिवर्तन समाधान से जुड़े निश्चित आय वाले वित्तीय संसाधन
हाल ही में ग्रीन बॉन्ड्स सुर्खियों में था क्योंकि केंद्र सरकार ने साल 2022 तक अपने 100 गिगावाट्स (जीडब्ल्यू) के सौर ऊर्जा और 60000 मेगावाट के पवन ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास किया. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी.
ग्रीन बॉन्ड्स या क्लाइमेट बॉन्ड्स निश्चित आमदनी वाले वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स (बॉन्डस) हैं जो जलवायु परिवर्तन समाधानों से जुड़े हैं. ये बॉन्ड डॉलर या रूपये के होंगे और अपेक्षाकृत एक नई परिसंपत्ति वर्ग के हैं.
सामान्य बॉन्ड्स की तरह, ये बॉन्ड सरकार, बहुराष्ट्रीय बैंकों या निगमों द्वारा जारी किया जा सकता है. जारी करने वाली इकाई कुछ निर्धारित समय में बॉन्ड के पुनर्भुगतान की गारंटी देता है और साथ वापसी की निश्चित या चर दर निर्धारित करता है.
ये बॉन्ड्स उन परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए होगा जिनका पर्यावरणीय और/ या जलवायु लाभों पर सकारात्मक प्रभाव होगा. ज्यादातर जारी किए गए ग्रीन बॉन्ड्स मुनाफा या संपत्ति से जुड़े बॉन्ड के ग्रीन यूज के लिए किए गए है. इस बॉन्ड से मिले लाभ ग्रीन परियोजनाओं के लिए निर्धारित हैं लेकिन इसे जारीकर्ता के पूरे बैलेंस शीट द्वारा समर्थित है.
ग्रीन बॉन्ड्स स्वच्छ ऊर्जा की लागत को कम करने और डेलवपरों के लिए वितरण इकाईयों को ऊर्जा को बेचने में मदद करेगा.
इसके लिए, सरकार ने कम– लागत और लंबी अवधि वाले कोष जुटाने के लिए आठ उधारदाताओं से संपर्क किया है. ये उधारदाता हैं– इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस को. लिमिटेड (आईआईएफसीएल), पावर फाइनैंस कॉर्प. लिमि. (पीएफसी), आरईसी, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, इंडियन रीन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (इरडा), आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड और येस बैंक लिमिटेड.
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