देश भर के ग्रामीण परिवारों तक बिजली की पहुंच प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीयूजीजेवाई) को शुरु करने की अनुमति 20 नवंबर 2014 को दी. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडलीय बैठक में नई दिल्ली में किया गया.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीयूजीजेवाई योजना के साथ चालू राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के विलय का भी फैसला किया.
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीयूजीजेवाई) के घटकों में शामिल है–
• ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर– कृषि ग्राहकों को बिजली की विवेकपूर्ण आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए कृषि एवं गैर– कृषि फीडरों को अलग करना.
• ग्राणीण इलाकों में उप–प्रसारण का सुदृढीकरण, संवर्धन और वितरण संरचना जिसमें ट्रांसफॉर्मरों/ फीडरों/ ग्राहकों के वितरण की पैमाइश शामिल है.
इस योजना के दो घटकों का कार्यान्वयन 43033 करोड़ रुपयों की अनुमानित लागत के साथ किया जाएगा जिसमें केंद्र सरकार संपूर्ण कार्यान्वयन अवधि में 33453 करोड़ रुपये की जरूरी बजटीय सहायता भी शामिल है.
इसके अलावा, अगस्त 2013 के ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित संतुलित कार्य के लिए सीसीईए अनुमोदन के मुताबिक 12वीं और 13वीं योजना में चालू आरजीजीवीवाई योजना का उसके मानदंडों के साथ डीडीयूजीजेवाई में अलग घटक के रूप में समावेश किया जाएगा. इस उद्देश्य के लिए सीसीईए ने 35447 कोरड़ रुपयों के बजटीय समर्थन के साथ 39275 करोड़ रुपयों की योजना लागत को पहले ही मंजूरी दी है.
43033 करोड़ रुपये के परिव्यय के अलावा डीडीयूजीजेवाई की नई योजना के लिए इस परिव्यय को आगे ले जाया जाएगा.
इस योजना से मदद मिलेगी.
• ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के घंटों में सुधार में.
• पीक लोड में कमी.
• मीटर की खपत पर आधारित बिल ऊर्जा क्षेत्र में सुधार.
• ग्रामीण परिवारों तक बिजली की पहुंच प्रदान करने में.
मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक, इस परियोजना के लिए मंजूरी की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी और कार्यन्वयन के लिए परियोजनाओँ को राज्य डिसकॉम/ बिजली विभागों से पुरस्कृत किया जाएगा. ये परियोजनाएं शुरु होने के 24 माह के भीतर पूरी कर ली जाएंगी.
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर के छह राज्यों में अंतर–राजकीय ट्रांसमिशन एवं वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए नार्थ ईस्टर्न रीजन पावर सिस्टम परियोजना को भी मंजूरी दी. ये राज्य हैं– असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड.
यह परियोजना 5111 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कार्यान्वित की जाएगी. यह परियोजना सब को बिजली के राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह परियोजना इन राज्यों में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत को भी बढ़ाएगा.
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