केंद्रीय कैबिनेट ने 4 जून 2013 को रियल स्टेट सेक्टर से सम्बंधित रियल स्टेट नियामक एवं विकास विधेयक को अनुमोदित कर दिया. यह विधेयक घर खरीदने वाले ग्राहकों के हितों को बिल्डरों एवं रियल स्टेट डेवेलपर्स से बचाने के लिए लाया गया.
इस विधेयक के तहत एक रियल स्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना की स्थापना होनी है जो कि उन ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करेगा जिन्हें बिल्डरों एवं डेवेलपर्स के द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से ठगा गया हो.
साथ ही, इस विधेयक यह प्रावधान है कि 1000 वर्ग मीटर से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों को इस नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. इन कंपनियों को अपने विज्ञापनों में परियोजना का वास्तविक चित्र लगाना होगा और किसी भी प्रकार से भ्रामक होने की स्थिति में उन पर कार्यवाई का प्रावधान विधेयक में किया गया है.
इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि बिल्डरों एवं डेवेलपर्स को अपने प्रवर्तकों (प्रमोटर्स), परियोजना का नियोजन, रूपरेखा, भूमि की स्थिति, कारपेट एरिया, आदि का पूरा ब्यौरा देना ग्राहकों को उपलब्ध कराना होगा.
वाणिज्यिक उद्देश्यों वाली परियोजनाओं को इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है.
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