केंद्र सरकार के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने देश के फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के सात नये प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की. एफआईपीबी ने यह स्वीकृति 5 जुलाई 2013 को आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम की अध्यक्षता में दी.
स्वीकृति प्राप्त प्रस्तावों में सिंगापुर की ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन प्राइवेट लिमिटेड, मॉरीशस की कैसलटन इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, अमेरिका की माइलैन इंक, मुंबई की फेरिंग थेरॉप्टिक्स और हैदराबाद की वेदांत लाइफ साइंसेस प्रमुख हैं.
एफआईपीबी ने कुल 30 प्रस्तावों पर विचार किया जिनमें से सिर्फ 7 को मंजूरी दी गई जबकि शेष पर 3 अगस्त 2013 के बाद विचार किया जाना है.
ज्ञातव्य है कि भारत में फार्मा उद्योग में उन परियोजनाओं के लिए स्वत: मंजूरी मार्ग से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है जो कि नई हैं. वहीं दूसरी ओर, पहले से चल रही परियोजनाओं में एफडीआई के लिए एफआईपीबी की अनुमति लेना अनिवार्य है.
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (Foreign Investment Promotion Board, FIPB)
केंद्रीय वित्त मंत्रालय का विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े उन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए एकल पटल निकाय का काम करता है जिन पर सीधे तौर पर एफडीआई की स्वीकृति नहीं होती. एफआईपीबी में विभिन्न मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभाग एवं वित्त मंत्रालय के सचिव अध्यक्ष के रूप में होते हैं. यह अंतरमंत्रालीय निकाय देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा, उच्चतम सीमा, कारकों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत करता है. वित्त मंत्रालय एफआईपीबी के अधिकतम 1200 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों पर की गई सिफारिशों को मंजूरी प्रदान करता है. ऐसे प्रस्तावों जिनका मूल्य 1200 करोड़ रुपये से अधिक होता है उनके लिए आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) की स्वीकृति लेनी होती है.
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में स्वत: मंजूरी मार्ग (Automatic Route of Foreign Direct Investment)
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वत: मंजूरी मार्ग उन क्षेत्रों के लिए खोल दिया गया है जिनमें 100 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है. उदाहरण के लिए फार्मा उद्योग, जिसमे नई परियोजनाओ के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश स्वत: मंजूरी मार्ग से किया जा सकता है. किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में इकाई स्थापित करने के लिए सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक से किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं लेनी होगी. निवेशकों को सिर्फ अपनी इकाई के कार्य क्षेत्र के आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रेषित धन का ब्यौरा 30 दिन के भीतर प्रस्तुत करना होगा.
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