देश में नागरिक उड्डयन गतिविधियों को नियमित, निगमित तथा अधिक सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय कैबिनेट ने 12 जुलाई 2013 को नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (Civil Aviation Authority, CAA)के गठन को मंजूरी दी. यह प्राधिकरण नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन वर्तमान में संचालित नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation, DGCA) का स्थान लेगा.
नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को देश में विमानन सेवाओं के संचालन से लेकर वित्तीय मामलों तक की पूरी स्वायत्ता होगी. साथ ही, प्राधिकरण के पास उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा तथा नागरिक सुरक्षा की अधिकतम सुनिश्चितता, विमान सेवा नेवीगेशन ऑपरेटर, विमान परिवहन ऑपरेटरों एवं अन्य नागर विमानन सेवाओं के ऑपरेटरों को निगरानी आदि का पूरा अधिकार होगा.
सीएए की स्थापना से संबंधित विधेयक को संसद के मानसून सत्र (2013) में पेश किया जाना है.
वित्तीय एवं कार्मिक प्रबंधन
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सरकार के सचिव एन श्रीवास्तव के अनुसार वर्तमान में कार्यरत डीजीसीए को 97-98 करोड़ रूपये वार्षिक राशि की आवश्यकता होती है और इसकी स्वीकृति नागरिक उड्डयन मंत्रालय के द्वारा की जाती है. दूसरी तरफ, प्रस्तावित नागरिक उड्डयन प्राधीकरण को अनुमानत: 112 करोड़ रुपयों की आवश्यकता होनी है. इसकी पूर्ती प्राधिकरण को आंतरिक स्तर पर करनी होगी. प्राधिकरण को अपने खर्चों को नियमित करने के लिए भारतीय नागरिक उड्डयन प्राधिकरण कोष का भी गठन करना है.
वर्तमान में डीजीसीए में कार्मिकों की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के माध्यम से की जाती हैं लेकिन नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के पास कर्मचारियों की नियुक्ति एवं वेतन देने की स्वतंत्रता होगी.
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