केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने 1 मई 2015 को राष्ट्रीय पर्यटन नीति-2015 का मसौदा जारी कर दिया. यह मसौदा राष्ट्रीय पर्यटन नीति-2002 की री-विजिट करने के बाद किया गया. नीति का लक्ष्य देश में पर्यटन क्षेत्र का विस्तार करना है. इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक विश्व पर्यटक आगमन में भारत का हिस्सा वर्तमान स्थिति 0.68 प्रतिशत से बढ़ाकर 1 प्रतिशत तक बढ़ाना और 2025 तक इसे 2 प्रतिशत तक लेकर जाना है. साथ ही देश के राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे में पर्यटन क्षेत्र के स्थान को प्राथमिकता में लाना है.
राष्ट्रीय पर्यटन नीति-2015 मसौदे की मुख्य विशेषताएं
• यह भारत के विकास और स्थिति के दृष्टिकोण को एक आवश्यक अनुभव और आवश्यक पुनरागमन स्थल के रूप में प्रतिष्ठापित करता है, जिसमें स्वच्छता, सुरक्षा और स्वागत के पहलू शामिल हैं.
• यह पर्यटन विकास के लिए एक निश्चित रूपरेखा, जो सरकारी नेतृत्व, निजी क्षेत्र से प्रेरित और समुदाय के कल्याण के लिए उन्मुख हो को तैयार करने की पुष्टि करती है.
• यह पर्यटन उद्योग के विकास में सतत प्रक्रिया के तौर पर सामुदायिक भागीदारी और रोजगार सृजन को भी शामिल करती है.
• इस नीति का जोर सभी अनुभागों में कौशल विकास पर होगा, जिसमें पर्यटन व आतिथ्य शिक्षा के लिए समर्पित विश्वविद्यालय की स्थापना और पर्यटन प्रोत्साहन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है.
• राष्ट्रीय पर्यटन सलाहकार बोर्ड (एनटीएबी) की स्थापना केंद्रीय पर्यटन मंत्री की अध्यक्षता में की जाएगी और नीति के अनुपालन की निगरानी के लिए राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेश के पर्यटन मंत्री और डोमेन विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल होंगे.
• नीति को लागू करने के लिए राष्ट्रीय पर्यटन प्राधिकरण की स्थापना व्यापार व उद्योग और अंतरसंबंधित विभागों अथवा एजेंसियों के प्रस्तुतिकरण के साथ की जाएगी.
• प्रमुख बुनियादी ढांचा (हवाईमार्ग, रेलमार्ग, सड़क मार्ग, जलमार्ग इत्यादि) साथ ही पर्यटन ढांचा (स्वदेश दर्शन, प्रसाद, बौद्ध सर्किट इत्यादि) विकसित किया जाएगा.
• यह पर्यटन वृद्धि के मुख्य वाहक के रूप में घरेलू पर्यटन पर और जम्मू व कश्मीर राज्य व पूर्वात्तर क्षेत्र के विकास व प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करता है.
• विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरकार बहुपक्षीय पर्यटन पर पहले से अधिक सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाएगी, उदाहरण के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (एसएएआरसी) 'द एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस' (एएसईएएन), इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका (आईबीएसए) और ब्राजील रूस, इंडिया, चीन, साउथ अफ्रीका (बीआरआईसीएस) को बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, हिमालय सर्किट इत्यादि विषयों द्वारा देशों को जोड़ने के लिए.
नई पर्यटन नीति को अंतिम रूप आम जनता से प्रतिक्रियाएं और सुझाव लेने के बाद दिया जाएगा. मंत्रालय द्वारा 10 मई 2015 तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं.
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