केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9 सितंबर 2015 को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के लिए भारत द्वारा व्यापार क्षेत्र में प्रदान किये जाने वाले अधिमान्य उपचार को स्वीकृति प्रदान की.
वस्तु व्यापार के क्षेत्र में भारत पहले ही अल्प विकसित देशों को शुल्क मुक्त टैरिफ की योजना का ऑफर दे चुका है.
अल्प विकसित देशों को अधिमान्यता की विशेषताएं
यह निम्न तीन क्षेत्रों में मान्य होंगी
- गैट्स (जीएटीएस) का अनुच्छेद सोलहवां (बाज़ार तक पहुंच)
- तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण
- भारत में व्यापार और रोजगार वीजा के लिए आवेदन करने वाले एलडीसी आवेदकों के लिए वीजा शुल्क में छूट
गैट्स के अनुच्छेद सोलह के कार्यान्वयन में कोई प्रत्यक्ष वित्तीय निहितार्थ, तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण के घटक शामिल नहीं होंगे तथा वीजा फीस में क्रमशः 3 करोड़ और 2.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
टिप्पणी
डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुसार, विशेष और अंतर कार्यप्रणाली विकासशील देशों में व्यापार के अवसरों को बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है तथा इसमें समझौतों अथवा उपायों को लागू करने के लिए दीर्घ अवधि भी शामिल है.
भारत द्वारा इन विकासशील देशों को व्यापार सेवा में उपलब्ध कराये गए ऑफर से यह देश भारत के साथ अपने संबंध सुधार सकेंगे तथा इससे एलडीसी मुद्दों पर भारत की स्थिति भी मजबूत होगी.
वर्तमान कदम भारत की दोहा विकास कार्यसूची के कार्यान्वयन की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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