केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9 सितंबर 2015 को राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा की नई नीति को मंजूरी प्रदान की.
नई ऊर्जा नीति का फोकस भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करना है. विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) समुद्र तट से 200 नॉटिकल मील दूर तक का क्षेत्र है.
राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति की विशेषताएं-
उद्देश्य
• भारत के ईईजेड में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का विकास
• ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना
• कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए
• अपतटीय पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना
• अपतटीय पवन ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना
• कुशल मानव शक्ति और रोजगार सृजन का नया उद्योग तैयार करना
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई): नीतियों के क्रियान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है.
पवन ऊर्जा राष्ट्रीय संस्थान (एनआईडब्ल्यूई): अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के निष्पादन के लिए नोडल एजेंसी है. यह नीति अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावित उपलब्धता के आधार पर पूरे देश में लागू की जाएगी.
नीति का महत्व
भारत के पास 7600 किलोमीटर लम्बे समुद्र तट के साथ उच्च अपतटीय पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं है. यह नई नीति इस क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम है.
यह नीति देश को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने, अपतटीय पवन ऊर्जा के क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास और पर्यावरण स्थिरता प्राप्त करने के लिए बहु-आयामी प्रयास है.
इस नीति से अपतटीय पवन ऊर्जा के क्षेत्र में तटीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक में रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद मिलेगी.
भारत तटवर्ती पवन ऊर्जा के विकास में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने के साथ, पहले से ही 23 गीगावॉट से अधिक क्षमता के साथ तटवर्ती पवन ऊर्जा क्षेत्र में स्थापित है और उत्पादन भी कर रहा है.
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