प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लौह अयस्क तथा अन्य खनिजों की खान नीलामी के लिए अध्यादेश प्रस्ताव को 5 जनवरी 2015 को मंजूरी प्रदान की. इससे पहले केंद्र सरकार कोयला, बीमा तथा भूमि अधिग्रहण सुधारों के लिए भी अध्यादेश का आपात तरीका अपना चुकी है.
इस अध्यादेश से लौह अयस्क तथा अन्य गैर कोयला खानों के आवंटन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया शुरू करने का मार्ग प्रशस्त होगा. इसके साथ ही परियोजना प्रभावित लोगों के कल्याण के लिए जिला खनिज कोष बनाए जाएंगे.
विवाद
उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज ने नीलामी मार्ग का विरोध किया है. संगठन का कहना है कि यह इस उद्योग के लिए ‘ताबूत की आखिरी कील’ साबित होगा.
इस अध्यादेश से संसाधनों के आवंटन के लिए राज्यों को और अधिक अधिकारों का विकेंद्रीकरण होगा. खनन क्षेत्र पिछले कई साल से प्रतिबंध सहित अनेक मुद्दों का सामना कर रहा है. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार भी वर्ष 2011 में कानून में संशोधन के लिए विधेयक लाई थी लेकिन यह तत्कालीन लोकसभा के भंग होने के साथ ही निरस्त हो गई थी.
विदित हो कि खान मंत्रालय खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) कानून, 1957 में संशोधन के लिए विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं कर पाया था. इसके चलते सरकार को खानों के आवंटन में परेशानी हो रही थी और उसने अध्यादेश की राह अपनाने का फैसला किया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation