केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 2 जून 2015 को नई दिल्ली में आईएपी हेल्थ फोन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. इस कार्यक्रम की शुरुआत महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के समाधान के लिए दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल शिक्षा कार्यक्रम के रूप में की गई है.
यह कार्यक्रम केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और यूनिसेफ की साझेदारी में भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (आईएपी) द्वारा विकसित और वोडाफोन इंडिया द्वारा समर्थित है.
आईएपी हेल्थ फोन कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं-
आईएपी हेल्थ फोन कार्यक्रम सम्पूर्ण भारत में माताओं और बच्चों में कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए प्रारंभ किया गया है.
यह कार्यक्रम वर्ष 2018 तक 13 से 35 वर्ष तक की उम्र की लड़कियों और महिलाओं में स्वास्थ्य और पोषण के विषय में मोबाइल फोन के माध्यम से जागकरुकता फैलाने के लिए प्रारंभ किया गया है.
इस कार्यक्रम को 18 भारतीय भाषाओं में तैयार किए गए वीडियो संदेशों के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया जाएगा. इन संदेशों में गर्भवती महिलाओं को बच्चों को स्तनपान कराने और संतुलित आहार के महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी.
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने इस संदेश से जुड़े वीडियो को देखने के लिए अपने ग्राहकों को नि:शुल्क डाटा सुविधा देने का निर्णय लिया है और 4 वीडियो देखने पर 10 रु. के टाकटाइम का लाभ भी देने की घोषणा की है.
वोडाफोन अपने ग्राहको को 4 वीडियो देखने के लिए प्रेरित करने हेतु 300 मिलियन से अधिक संदेश भेजेगा.
आईएपी हेल्थ फोन कार्यक्रम के सहयोगियों द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं औऱ एएनएम को प्रेरक वीडियो संदेशों और माइक्रो एसडी कार्ड से लैस मोबाइल फोन भी प्रदान किए जाएंगे जिससे वे महिलाओं, परिवारों और विभिन्न समुदायों के साथ स्वास्थ्य और पोषण के ज्ञान को साझा कर सकें.
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते सोशल मीडिया माध्यमों फेसबुक, ट्विटर और गूगल का भी सहारा लिया जाएगा.
इस तीन वर्षीय अभियान (2015-18) से 2025 तक भारत में जन्मे 60 लाख बच्चों के स्वास्थ्य लाभ होने की उम्मीद है.
कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए इस कार्यक्रम को परिवर्तनकारी माना जा रहा है.
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