मलयालम भाषा की कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता सुगाथा कुमारी को काव्य संग्रह मनलेक्षुतु (Manalezhuthu) के लिए वर्ष 2012 के सरस्वती सम्मान (22वां) से 2 अगस्त 2013 को सम्मानित किया गया. नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया. इस पुरस्कार हेतु 79 वर्षीय सुगाथा कुमारी का चयन पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी लाहोटी (सर्वोच्च न्यायालय के 35वें प्रधान न्यायाधीश) की अध्यक्षता वाले 13 सदस्यीय निर्णायक मंडल ने किया था.
मनलेक्षुतु (Manalezhuthu)
मनलेक्षुतु 27 कविताओं का संग्रह है जो वर्ष 2006 में प्रकाशित हुआ. काव्य संग्रह मनलेक्षुतु का अंग्रेजी अनुवाद द राइटिंग ऑन द सैंड शीर्षक से प्रकाशित हुआ.
सुगाथा कुमारी
कवयित्री सुगाथा कुमारी पर्यावरणविद और केरल राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हैं. वह मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए अभय नामक सामाजिक संगठन की संस्थापक भी हैं. अब इस संगठन में मानसिक रोगियों के अलावा असहाय बच्चों और महिलाओं की भी मदद की जाती है.
• सुगाथा कुमारी के 15 कविता संग्रह और छह गद्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं.
• सुगाथा कुमारी की कविताओं में भावनात्मक अभिव्यक्ति मानवीय संवेदना और नैतिक चेतना का संगम मिलता है.
• उनकी प्रारंभिक रचनाएं व्यक्तिपरक रही हैं परन्तु धीरे-धीरे उनकी कविताओं में पर्यावरण संकट, स्त्री उत्पीड़न जैसे सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ धराशायी होते आदर्शों की चिंता भी मुखर हुई हैं.
सरस्वती सम्मान
सरस्वती सम्मान प्रतिवर्ष केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है. सरस्वती सम्मान के विजेता को पुरस्कार स्वरूप दस लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र तथा प्रतीक चिह्न दिया जाता है. सरस्वती सम्मान की स्थापना वर्ष 1991 में की गई थी.
• यह सम्मान किसी भारतीय नागरिक की ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है, जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो.
• पहला सरस्वती सम्मान हिन्दी के कवि हरिवंश राय बच्चन को उनकी आत्मकथा दशद्वार से सोपान तक के लिए प्रदान किया गया था.
• 21वां सरस्वती सम्मान तमिल के रचनाकार एए मनवालन की कृति इरम कथाईयुम ईरमयाकलुयम (Irama Kathaiyum Iramayakalum, रामकथा व रामायण) को दिया गया था.
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