केलकर समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला भाग केंद्रीय तेल मंत्रालय को प्रस्तुत की

Jan 11, 2014, 13:12 IST

केलकर समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला भाग केंद्रीय तेल मंत्रालय में 8 जनवरी 2014 को प्रस्तुत किया.

केलकर समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला भाग केंद्रीय तेल मंत्रालय में 8 जनवरी 2014 को प्रस्तुत किया. समिति ने अपनी रिपोर्ट में तेल-खण्डों के लिए अनुबंध में वर्तमान उत्पादन शेयर करने वाली व्यवस्था जारी रखने और कंपनियों को खोज एवं उत्पादन-लागत की वसूली करने देने की सिफारिश की है.

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विजय केलकर समिति के सुझाव  
• समिति ने बिना किसी बदलाव के उत्पादन शेयर करने वाले विनिर्माण हिस्सेदारी अनुबंध (पीएससी, Production-Sharing Contracts) देने और बेहतर प्रशासन के लिए हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय को मजबूत करने का सुझाव दिया.
 
• समिति ने खुले क्षेत्रफल की व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें कंपनियाँ सरकार द्वारा चिह्नित क्षेत्र ऑफर करने वाली आवधिक नीलामियों की प्रतीक्षा करने के बजाय वर्षभर खोज-क्षेत्र चुन सकें.     

• समिति ने देश के प्राकृतिक संसाधनों का डाटा संरक्षित और संवर्धित करने के लिए एक राष्ट्रीय डाटा रिपोजिटरी (एनडीआर) स्थापित करने की माँग की.
 
रिपोर्ट के दूसरे भाग में मूल्य-निर्धारण और कराधान संबंधी मुद्दे शामिल होंगे और उसे फरवरी 2014 में प्रस्तुत किए जाने की संभावना है.

वर्तमान व्यवस्था में तेल-कंपनियाँ सरकार के साथ लाभ शेयर करने से पहले तेल और गैस की बिक्री से सफल और असफल कुओं की समस्त लागत वसूल कर सकती हैं.
 
केलकर समिति की रिपोर्ट के पहले भाग में दिए गए सुझाव सी. रंगराजन समिति द्वारा सुझाई गई रॉयल्टी शेयर करने वाली व्यवस्था के विपरीत हैं, जिसे सरकार द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है. रॉयल्टी शेयर करने वाली व्यवस्था के अंतर्गत कंपनियों को पहले से यह बताना आवश्यक है कि वे उत्पादन के पहले दिन से तेल और गैस की कितनी मात्रा सरकार के साथ शेयर करेंगी.
    
रंगराजन समिति ने लागत की वसूली किए बिना रॉयल्टी शेयर करने वाली व्यवस्था कंपनियों द्वारा निवेशों की गोल्डप्लेटिंग (अनावश्यक खर्चे जोड़कर महँगा बनाना) पर अंकुश लगाने के लिए सुझाई थी. रॉयल्टी शेयर करने वाली व्यवस्था विकसित देशों में प्रचलित है.
   
किंतु केलकर समिति ने मत व्यक्त किया है कि रॉयल्टी शेयर करने वाली व्यवस्था भारतीय स्थितियों में व्यावहारिक नहीं है, जहाँ तेल और गैस खण्डों की खोज अभी भी अल्पविकसित हालत में है. अत: केलकर समिति ने उथले और भूमि पर स्थित खण्डों के लिए राजस्व शेयर करने की व्यवस्था का पक्ष लिया है, जिनकी लागत गहरे समुद्र में की जाने वाली खोज से कम बैठती है.
    
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) ने इस आधार पर पीएससी व्यवस्था की आलोचना की थी कि उसने कंपनियों को पूंजीगत व्यय बढ़ाने और सरकार का शेयर देने में देरी करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
 
विजय केलकर समिति  
घरेलू तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाने के तरीके सुझाने के लिए 13 मई 2013 को विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी. समिति को 2030 तक विदेशी ऊर्जा पर भारत की निर्भरता घटाने और छह महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कम सौंपा गया था.

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