प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 20 जनवरी 2016 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी कचरे से बनने वाली खाद (सिटी कम्पोस्ट) को बढ़ावा देने की नीति को मंजूरी दी.
इसका उद्देश्य संबंधित मंत्रालय/विभाग के साथ मिलकर किसानों को शहरी खाद के फायदों से अवगत कराना एवं सभी राज्यों में खाद संयंत्रों की संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाना है.
नीति की विशेषताएं
• इस नीति के अंतर्गत 1500 रुपए प्रति टन सिटी कम्पोस्ट की बाजार विकास सहायता का प्रावधान किया गया है, ताकि इसके उत्पादन और उपयोग में बढ़ोतरी की जा सके.
• बाजार विकास सहायता किसानों के लिए शहरी खाद के अधिकतम खुदरा मूल्य- एमआरपी में कमी लाएगी.
• उर्वरक कंपनियां और बाजार इकाइयां अपने डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों के साथ शहरी खाद का भी विपणन करेगी.
• सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी बागवानी और उससे संबंधित उपयोगों के लिए शहरी खाद का इस्तेमाल करेंगे.
• उर्वरक विभाग, शहरी विकास, शहरी विकास मंत्रालय और कृषि विभाग द्वारा स्थापित संयुक्त तंत्र खाद विनिर्मिताओं और उर्वरक विपणन कंपनियों के बीच परस्पर स्वीकृत शर्तों पर उपयुक्त मात्रा में शहरी खाद की उपलब्धता की निगरानी करेगे और उसमें सहायता प्रदान करेंगे.
• आईसीएआर के केवीके सहित कृषि संबंधी कृषि विस्तार तंत्र भी इस संबंध में विशेष प्रयास करेंगे.
• कृषि विश्वविद्यालय और केवीके शहरी खाद के इस्तेमाल की गतिविधियों का प्रदर्शन करेंगे, जिसके लिए कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग उन्हें लक्ष्य प्रदान करेगा.
• कंपनियां खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गांवों को भी गोद लेंगी.
नीति के लाभ
• शहर के कचरे से बनने वाली यह खाद न सिर्फ मृदा को कार्बन और प्राथमिक/द्वितीय पोषण उपलब्ध कराएंगी, बल्कि शहर को स्वच्छ रखने में भी सहायता करेगी.
• इससे खतरनाक ग्रीनहाउस गैसों (विशेषकर मीथेन) और ऐसी जहरीली सामग्री का बनना भी रोका जा सकेगा, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ भू-जल को भी दूषित करती है.
• शहरी कचरे से खाद तैयार करने से शहरी क्षेत्रों में रोजगार के साधन भी सृजित होंगे.
• शहरी खाद से संबंधित ईको-मार्क मानक यह सुनिश्चित करेंगे की किसानों तक जो उत्पाद पहुंचे, वह पर्यावरण के अनुकूल हो.
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