खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 को राज्यसभा ने 20 मार्च 2015 को मंजूरी प्रदान की. इस विधेयक के जरिये वर्ष 1957 के मूल अधिनियम में संशोधन किया गया है. केंद्र सरकार इससे पहले इस संबंध में एक अध्यादेश जारी कर चुकी है. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 संसद की मंजूरी के बाद उस अध्यादेश का स्थान लेगा.
खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 को कुल 69 मतों के मुकाबले कुल 117 मतों से पारित किया गया. कांग्रेस एवं वामपंथी दलों को छोड़कर अधिकतर पार्टियों ने इस विधेयक का समर्थन किया, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने यह कह कर वाकआउट किया कि वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता.
इस विधेयक को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है. उच्च सदन में इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा गया था. प्रवर समिति ने इसके बारे में 18 मार्च 2015 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 से संबंधित मुख्य तथ्य:
• इस विधेयक में खनन से प्राप्त राजस्व का उपयोग स्थानीय क्षेत्र के विकास के साथ ही सरकार की विवेकाधीन शक्तियों का समाप्त करने की दिशा में पहल की गई है.
• इस विधेयक में राज्यों को कई अधिकार दिये गये हैं. इसके माध्यम से मूल अधिनियम में नयी अनुसूची जोड़ी गई है तथा बाक्साइट, चूना पत्थर, मैगनीज जैसे कुछ खनिजों को अधिसूचित खनिजों के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें खनन लाइसेंस की नयी श्रेणी बनाई गई है.
• इसमें खनन के बारे में पट्टे की अवधि और पट्टे को बढ़ाए जाने की रूपरेखा का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही साथ इसमें खान से संबंधित रियायत प्रदान करने और इससे जुड़ी नीलामी प्रणाली के बारे में बताया गया है.
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