केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे के तहत गंगा को निर्मल एवं अविरल बनाने हेतु आठ केन्द्रीय मंत्रालयों ने एक संयुक्त सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये.
इसका उद्देश्य अगले तीन वर्षों के दौरान गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने और आपसी तालमेल के साथ स्वच्छता पहल को गति प्रदान करना है.
- भारत सरकार के आठ केन्द्रीय मंत्रालयों ने 30 जनवरी 2016 को एक संयुक्त सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए.
- गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है.
- साथ ही 21 कार्य बिन्दु तय किये गए हैं.
- केन्द्र सरकार ने गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 2015 से 2020 के दौरान करीब 20 हजार करोड़ रूपये की लागत की रूप रेखा तैयार की है.
- जिसमें 12728 करोड़ रुपये नए कार्यक्रमों के लिए तथा 7272 करोड़ रूपये अभी जारी कार्यक्रमों के लिए हैं
- नमामि गंगे परियोजना का 100 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.
- हस्ताक्षर करने वाले इन आठ मंत्रालयों में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, युवा एवं खेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय शामिल है.
सहमति पत्र-
- सहमति पत्र के मुताबिक जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय सभी मंत्रालयों के बीच समन्वय का काम करेगा.
- वह शोधित जल के उपयोग के लिए बाजार का विकास करेगा.
- इन योजनाओं को लागू करने के लिए शीर्ष मंत्रालय होगा और नमामि गंगे परियोजना के लिए राज्य सरकारों के साथ भी समन्वय स्थापित करेगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गंगा नदी के तट पर साक्षर भारत कार्यक्रम आयोजित करेगा.
- यह गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना पर प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगा.
- जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के कंसर्टियम ने विकसित किया है.
- यह आईआईटी और एनआईटी को उन्नत भारत अभियान के तहत गंगा बेसिन पर स्थित कम से कम पांच गांवों को गोद लेने को प्रेरित करेगा.
- साथ ही नदी में औद्योगिक एवं रासायनिक प्रदूषण रोकने संबंधी पायलट परियोजना तैयार करने के लिए आईआईटी को प्रेरित करेगा.
- इसके साथ ही ग्रामीण विकास मंत्रालय अपनी पहल पर इस कार्य योजना में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं अन्य परियोजनाओं को जोड़ने में सक्रिय भूमिका भी निभाएगा.
- अपने औषधीय गुणों के कारण गंगाजल अनोखा है.
- पटना में जो गंगा जल है, उसमें कोई औषधीय गुण नहीं है.
- रेल मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय के बीच हुए सहमति पत्र के मुताबिक, दोनों पक्षों ने गंगा यमुना नदी क्षेत्र पर स्थित जल शोधन संयंत्रों से शोधित जल की आपूर्ति और उपयोग (पीने के लिए नहीं) करने पर सहमति व्यक्त की है.
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन के तहत गंगा नदी के तट पर गांव में कार्य को आगे बढ़ायेगा. यह स्थानीय समुदाय को इस कार्य से जोड़ने का काम भी करेगा.
- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ग्राम पंचायत स्तर पर खुले में शौच से मुक्त व्यवस्था को आगे बढ़ायेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के कार्य को आगे बढ़ायेगा.
- पर्यटन मंत्रालय पारिस्थितिकी अनुरूप पहल को आगे बढ़ायेगा और इको टूरिज्म को प्रोत्साहित करेगा.
- आयुष मंत्रालय गंगा तट क्षेत्रों में औषधीय गुणों वाले पौधों के संरक्षण का कार्य करेगा और इससे जुड़े कार्यो को आगे बढ़ाएगा.
- पोत परिवहन मंत्रालय गंगा नदी में पारिस्थितिकी को हानि पहुंचाये बिना सतत नदी परिवहन आधारभूत संरचना तैयार करेगा. एमओयू के अनुसार, युवा एवं खेल मंत्रालय गंगा की सफाई, वनीकरण और नदी तट पर अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करेगा और इनका समूह तैयार करेगा.
- जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण से गंगा नदी पर कुल 764 उद्योग अवस्थित हैं जिनमें 444 चमड़ा उद्योग, 27 रासायनिक उद्योग, 67 चीनी मिलें, 33 शराब उद्योग, 22 खाद्य एवं डेयरी, 63 कपड़ा एवं रंग उद्योग, 67 कागज एवं पल्प उद्योग एवं 41 अन्य उद्योग शामिल हैं.
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