केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गुटखा, तंबाकू व पान मसाले को भरने, पैक करने और पाउच में बेचने के लिए प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही खाद्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए रिसाइकिल किए गए प्लास्टिक के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई. पर्यावरण मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की पॉलिथीन थैली मुफ्त में उपलब्ध नहीं कराने हेतु नगरीय निकाय को निर्देश दिया कि इसके लिए न्यूनतम कीमत तय की जाए. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा यह सारे निर्णय प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2011 के तहत लिया गया, जिसे मंत्रालय ने 7 फरवरी 2011 को अधिसूचित किया.
ज्ञातव्य हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने दिसंबर 2010 में एक फैसले में गुटखा, पान मसाला तथा अन्य तंबाकू उत्पादों की प्लास्टिक के पाउचों में बिक्री पर रोक की समय सीमा मार्च 2011 तय की थी. इसके मद्देनजर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पुनर्चक्रित प्लास्टिक निर्माण व उपयोग नियम 1999 को निष्प्रभावी कर दिया. इसके स्थान पर प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2011 को अधिसूचित किया.
प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2011
प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2011 के तहत खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग के लिए भी एक बार इस्तेमाल हो चुके प्लास्टिक या कंपोस्टेबल प्लास्टिक के दोबारा उपयोग की इजाजत नहीं है. नए नियम में सामान भरने के लिए इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक थैलियां सफेद या सिर्फ उन्हीं रंगों वाली बताई गई है, जो भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप है. प्लास्टिक थैलियों की मोटाई को भी बढ़ाकर 40 माइक्रॉन कर दिया गया. पहले यह मोटाई केवल 20 माइक्रॉन ही तय की गई थी. प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2011 के अनुसार नगरीय निकाय के प्रशासन को प्लास्टिक कचरे के एकत्रीकरण हेतु केंद्र बनाने के लिए प्लास्टिक निर्माताओं को निर्देश देने का अधिकार है. कचरा बीनने वालों की भूमिका को अहमियत देना भी इसके अहम प्रावधानों में से है.
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