गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक सुभाष घीसिंग का 29 जनवरी 2015 को निधन हो गया. वह 78 वर्ष के थे. वह यकृत की बीमारी और कैंसर से पीडित थे. वह 1980 के दशक में गोरखालैंड आंदोलन को खड़ा करने वालों में से प्रमुख थे.
सुभाष घीसिंग ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रहने वाले जातीय गोरखा लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग करते हुए 1980 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) की स्थापना की.
जीएनएलएफ के नेतृत्व में वर्ष 1986 और वर्ष 1988 के बीच हिंसक घटनाओं से जिले का जनजीवन प्रभावित हुआ.
केंद्र और राज्य सरकारों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद एक अर्ध स्वायत्त निकाय दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल की स्थापना के साथ इस समस्या का समाधान हुआ.
सुभाष घीसिंग 1988 से 2008 के बीच दार्जिलिंग गोरखा हिल परिषद के अध्यक्ष रहे.
सुभाष घीसिंग से संबंधित मुख्य तथ्य
• वह 1954 में भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए, लेकिन 1960 में इसे छोड दिया.
• वर्ष 1968 में जातीय गोरखाओं के अधिकारों की सुरक्षा हेतु राजनीतिक संगठन बनाया और इसे ‘नीलो झंडा’ नाम दिया.
• सुभाष घीसिंग ने अप्रैल 1979 में दार्जिलिंग की पहाड़ियों के नेपाली भाषी लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग की.
• वर्ष 2011 में कर्सियांग, कलिमपोंग और दार्जिलिंग से उनकी पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लड़ा परन्तु वह तीनों सीटों से पराजित हुए.
• सुभाष घीसिंग का जन्म 22 जून 1936 को दार्जिलिंग के मंजू टी एस्टेट में हुआ.
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